मंडी, 03 मार्च : मंडी और कुल्लू जिलों की सीमाओं पर जिला कुल्लू की आनी तहसील के तहत आने वाले देहुरी गांव स्थित देवता खुड्डी जहल अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए 100 वर्षों बाद आने जा रहे हैं। आज शाम 4 बजे देवता का रथ देवलुओं और कारदारों संग मंडी के लिए रवाना हो गया। आज रात को पहला पड़ाव मंडी जिला के सराज क्षेत्र के तहत आने वाले बिहणी गांव में है। इसके बाद देवता जंजैहली, बगस्याड, गोहर और घासणू होते हुए 8 मार्च की सुबह मंडी पहुंचेंगे।
देवता के पुजारी रूप लाल ने बताया कि रियासत काल में देवता शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने आते थे। लेकिन बाद में जब जिलों का गठन हुआ तो उनका गांव कुल्लू जिला में शामिल हो गया और फिर देवता का मंडी की तरफ आना बंद हो गया। राजपरिवार का देवता के साथ गहरा लगाव है। राजपरिवार द्वारा दिया गया ढाई किलो सोने का छत्र, वाद्ययंत्र और चादरें आज भी देवता के पास मौजूद हैं। पुजारी ने स्पष्ट किया कि उन्हें शिवरात्रि महोत्सव का कोई अधिकारिक निमंत्रण नहीं है लेकिन देवता की तरफ से बीते तीन वर्षों से लगातार महोत्सव में जाने का आदेश प्राप्त हो रहा है।
गत वर्ष जिला प्रशासन से इस संदर्भ में काफी पत्राचार किया गया लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए इस बार देवता के आदेश पर उन्हें मंडी लाया जा रहा है। प्रशासन से बैठने और रहने आदि का बंदोबस्त करने का निवेदन किया गया है। देवता का रथ मंडी शहर की परिक्रमा करेगा और अपने पुराने स्थानों की तलाश और पहचान भी करेगा क्योंकि यहां पहले से ही देवता के बैठने के स्थान मौजूद हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि देवता अंतिम बार कब शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने आए थे, लेकिन इतना तय है कि इन्हें महोत्सव में आए हुए लगभग 100 वर्षों का समय हो ही गया है।
देवता का करेंगे स्वागत, लेकिन खुद करनी होगी रहने और बैठने की व्यवस्था
वहीं, सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने स्पष्ट किया है कि देवता बीना निमंत्रण के आ रहे हैं। इसलिए उनके बैठने और ठहरने की व्यवस्था उन्हें स्वयं ही करनी होगी। देवता पूजनीय हैं इसलिए उनका मंडी पहुंचने पर स्वागत और आदर सत्कार किया जाएगा।