शिमला, 9 मई : लंबे इंतजार के बाद आखिर में धर्मशाला विस उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। अब प्रदेश की सभी 6 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव के प्रत्याशी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। धर्मशाला पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी है। यहां पूर्व कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे सुधीर शर्मा को भाजपा ने काफी पहले उम्मीदवार बना दिया था। मगर सुधीर की नींदें पूर्व में भाजपा प्रत्याशी रहे राकेश चौधरी ने उड़ा दी हैं। वह अभी तक कांग्रेस के टिकट की आस लगाए बैठे थे। अचानक उन्होंने निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर भाजपा की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
कांग्रेस सुधीर को राज्यसभा एपिसोड के लिए जिम्मेदार मानती है। मुख्यमंत्री सुक्खू कहीं बार कह चुके हैं कि सुधीर शर्मा ही इस गेम के मास्टर माइंड हैं। इसी के चलते मुख्यमंत्री ने लंबी जद्दोजहद के बाद सुधीर के खिलाफ देवेंद्र जग्गी को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है। जग्गी कांग्रेस के 6 सर्वे में अव्वल रहे हैं। देवेंद्र जग्गी का संबंध राजपूत समुदाय से है। इस सीट पर गद्दी, चौधरी, गोरखा, ब्राह्मण व राजपूत समुदाय के वोटर काफी संख्या में हैं। मगर गद्दी व चौधरी वोट जिसे ज्यादा मिलेगा, उसकी जीत तय है। गद्दी समुदाय के किशन कपूर ने इस सीट पर अपने समुदाय के समर्थन से कई दफा चुनाव जीता है।
जातीय गणित को ध्यान में रखते हुए जग्गी को इसका कितना फायदा मिलेगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। जग्गी वर्तमान में कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी के महासचिव हैं। देवेंद्र जग्गी ने अपना राजनीतिक कैरियर वर्ष 2000 में जिला परिषद सदस्य के रूप में शुरू किया था। 2016 में वह धर्मशाला नगर निगम के मेयर बने। वर्तमान में वह धर्मशाला के वार्ड नंबर 11 से पार्षद हैं।
सुक्खू ने अधिकतर सीटों पर पंचायतीराज से जीत कर आए उम्मीदवारों को टिकट दिलाने में प्राथमिकता दी है, क्योंकि हिमाचल में इससे उम्मीदवार की मेरिट सिद्ध होती है। लोग धरातल से जुड़े राजनेताओं को वोट देना पसंद करते हैं। जातीय गणित पर नजर दौड़ाई जाए तो धर्मशाला विधानसभा में गद्दी व चौधरी समुदायों का दबदबा रहा है। संख्या बल में ये दोनों समुदाय अग्रणी हैं। राजपूत, ब्राह्मणों के अलावा अन्य जातियों की संख्या इतनी अधिक नहीं है।
इससे पहले कांग्रेस में 2022 में भाजपा के उम्मीदवार रहे राकेश चौधरी को टिकट दिए जाने की चर्चा थी। मगर, मुख्यमंत्री की पसंद देवेंद्र जग्गी को ही माना जाता है। जिससे उनका टिकट का रास्ता साफ हो गया। कांग्रेस से भाजपा में गए सुधीर ने अपना पहला चुनाव अपनी पैतृक सीट बैजनाथ से 2003 में जीता था। उसके बाद वह 2007 में दोबारा बैजनाथ से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे।
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वर्ष 2012 में डिलिमिटेशन के बाद सुधीर शर्मा ने बैजनाथ सीट आरक्षित होने के कारण धर्मशाला का रुख किया। जहां वो पहली दफा में ही जीतने में सफल रहे। उन्हें अपनी राजनीतिक पारी में पहली हार का स्वाद 2017 में चखना पड़ा, जब उन्हें भाजपा के दिग्गज किशन कपूर ने हरा दिया। वर्ष 2019 में किशन कपूर कांगड़ा लोकसभा से संसद पहुंच गए। सीट खाली होने से धर्मशाला में दोबारा विधानसभा उप चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के विशाल नैहरिया ने सुधीर शर्मा को दोबारा हरा दिया।
2022 में सुधीर शर्मा ने भाजपा के राकेश चौधरी को 3285 मतों के नजदीकी अंतर से हरा दिया। उस दौरान भाजपा के बागी विपिन नैहरिया ने निर्दलीय लड़ते हुए 7416 वोट हासिल कर सुधीर की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। सुधीर शर्मा को जीत के लिए नाको चने चबाने पड़े। इस बार विधानसभा उप चुनाव में परिस्थितियां बदली हुई हैं। सुधीर को भाजपा में अपनी योग्यता को साबित करने के लिए संगठन के लोगों को अपने साथ जोड़ना होगा, जो उनके लिए चुनौतीपूर्ण है।
वहीं, जग्गी को भी कांग्रेस में कुछ अंतर्कलह का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि यहां से कांग्रेस के टिकट के लिए कई तलबगार मैदान में थे, जो टिकट न मिलने पर अंदरखाते जग्गी के लिए खतरा बन सकते हैं। प्रचार की बात की जाए तो भाजपा के सुधीर शर्मा प्रचार के कई राउंड पूरे कर चुके हैं। वहीं, कांग्रेसी उम्मीदवार देवेंद्र जग्गी को अभी प्रचार की शुरूआत करनी है। प्रचार में जो प्रत्याशी जोड़-तोड़ की राजनीति में ज्यादा मेहनत करेगा, उसका बेड़ा पार होगा।