शिमला, 18 फरवरी : हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बजट में 1900 रूपए का मानदेय बढ़ाए जाने से एसएमसी (SMC) शिक्षक खुश नहीं है। लिहाजा सोमवार को विधानसभा घेराव करने की बात कही है। एसएमसी शिक्षकों का कहना है कि जब तक सरकार पॉलिसी नहीं बना देती तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। 27 जनवरी से ये शिक्षक लगातार क्रमिक अनशन पर बैठे हैं, लेकिन मांगों पर गौर नहीं किया गया है।
प्रदेश के स्कूलों में 2012 में एसएमसी अध्यापकों की भर्ती शुरू हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में भर्तियां की गई थी। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ तो वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने एसएमसी (SMC) अध्यापकों का दायरा बढ़ाया और इन्हें सिर्फ दूरदराज के क्षेत्र में ही नियुक्ति नहीं दी, बल्कि प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी इन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया।
अध्यापक मांग कर रहे हैं कि इनके लिए स्थायी पॉलिसी बनाई जाए। एसएमसी अध्यापकों को 11 हजार रुपये से 15 हजार रुपये तक का वेतन ही मिल रहा है। स्कूलों में जब छुट्टियां होती हैं, तब भी इन अध्यापकों को वेतन नहीं दिया जाता। ऐसे में यह अध्यापक खासे परेशान हैं। एसएमसी अध्यापकों का कहना है कि कम वेतन में तो घर-परिवार का गुजर-बसर भी नहीं हो पाता है। ऐसे में उन्हें मजबूर होकर ये कदम उठाना पड़ रहा है।