मंडी, 24 जुलाई : हणोगी से झलोगी के बीच फोरलेन के लिए बनी पांच टनलों का निर्माण यदि पूरा नहीं हुआ होता या यातायात के लिए शुरू न किया होता तो शायद आज कुल्लू-मनाली के लोग कालेपानी की सजा भुगत रहे होते।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रैंसनाला से लेकर झलोगी तक पुराना हाईवे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहां हाईवे का नामोनिशान ही मिट गया है। क्योंकि बीती 20 मई से सारा ट्रैफिक टनलों से होकर गुजर रहा है। पुराने हाईवे की तरफ कोई जाता, इसलिए वहां पर क्या स्थिति है, इसका भी किसी को कोई पता नहीं। लेकिन जो मंजर वहां पर है, यदि टनलें न खुली होती तो यहां हाईवे को बहाल करना असंभव ही होता।
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीती 20 मई को हणोगी से झलोगी तक बनी पांच टनलों को यातायात के लिए सुचारू कर दिया था। केंद्र सरकार ने यह निर्णय टूरिस्ट और बरसाती मौसम को ध्यान में रखकर लिया था। सरकार के इस निर्णय की आज लोग भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं। स्थानीय निवासी शिवलाल, वरूण ठाकुर, मीनू बदारा और राजेंद्र कुमार ने बताया कि अगर टनलें न खुली होती तो आज वे आवागमन से पूरी तरह से महरूम हो जाते और कुल्लू-मनाली भी पूरी तरह से कट जाता। इसके लिए इन्होंने केंद्र सरकार का आभार जताया है।
वहीं, पुराने हाईवे को भी बहाल करने की दिशा में कार्य शुरू हो गया है। लोक निर्माण विभाग थलौट के अधिशाषी अभियंता ई. सुरेश कौशल ने बताया कि क्षतिग्रस्त हाईवे की डीपीआर बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। पूरी डीपीआर बनाकर एनएचएआई को दे दी जाएगी और एनएचएआई(NHAI) ही इसकी मरम्मत करेगी।
बता दें कि किरतपुर-मनाली फोरलेन प्रोजेक्ट में पंडोह बाईपास टकोली प्रोजेक्ट सबसे महत्वपूर्ण है। यहां अधिकतर फोरलेन टनलों से ही गुजारा जा रहा है। शाहपुरजी-पलौनजी और एफकॉन्स कंपनी इस प्रोजेक्ट का कार्य कर रही हैं। कड़ी मेहनत से इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है।