चंडीगढ़, 8 मई : हरियाणा के उत्तरी छोर पर स्थित अंबाला लोकसभा सीट हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के गृह क्षेत्र में आने से हाॅट सीट बन गई है। राजनीतिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो अंबाला लोकसभा क्षेत्र से मात्र एक बार कालका के विधायक चंद मोहन को उप मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है।
नारायणगढ़ से विधायक रहे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हालांकि पिछली लोकसभा में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे हैं। पिछली विधानसभा में वो नारायणगढ़ से विधायक बनकर खट्टर सरकार में पहली दफा ही मंत्री बन गए थे। पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रहे व वर्तमान में कैबिनेट मंत्री कंवर पाल गुज्जर की विधानसभा जगाधरी भी अंबाला लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
अंबाला सुरक्षित लोकसभा है। भाजपा ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे दिवंगत रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को चुनावी मैदान में उतारा है। अंबाला लोस हलके के तहत 9 विधानसभा क्षेत्र कालका, पंचकुला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला सिटी, मुलाना, सढ़ौरा, जगाधरी व यमुनानगर विधानसभा आते हैं। यहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा भाजपा के स्व. रतन लाल कटारिया से हार गई थी। इस बार शैलजा सिरसा से चुनाव लड़ रही हैं।
कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिवंगत फूल चंद मुलाना के पुत्र वरुण चौधरी को मैदान में उतारा है। वरुण पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद है। युवाओं में वरुण काफी लोकप्रिय हैं। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत अंबाला सिटी, यमुनानगर, अंबाला कैंट, पंचकुला, नारायणगढ़, जगाधरी, सढ़ौरा, मुलाना व बिलासपुर शहर आते हैं। यहां व्यापारी तबका होने से भाजपा पिछले चुनाव में जीत गई थी। हालांकि, इन शहरों में भाजपा का परंपरागत वोट अभी भी मौजूद है। मगर ग्रामीण क्षेत्रों में वरुण चौधरी काफी मजबूत हैं।
वरुण के पिता स्व. फूल चंद मुलाना काफी लोकप्रिय व अच्छे व्यक्तित्व के कारण लोगों के दिलों में आज भी बसते हैं। वहीं, भाजपा उम्मीदवार बंतो कटारिया के पति स्व. रतन लाल कटारिया पिछले 10 साल से इस क्षेत्र में काफी आधार तैयार कर चुके थे। बंतो कटारिया को चुनावी रणनीति बनाने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें जिताने का जिम्मा कैबिनेट मंत्री कंवर पाल गुज्जर उठा रहे हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधानसभा उप चुनाव लड़ने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में प्रचार करने जाना पड़ रहा है। बीते दिनों तीन निर्दलीयों के इस्तीफे से उनकी सरकार के लिए खतरा भी उत्पन्न हुआ है। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार वरुण चौधरी युवा व ऊर्जावान होने के कारण प्रचार में काफी आगे निकल गए हैं।
जातीय समीकरणों की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के अलावा गुज्जर, सैनी, पंजाबी, बनिया, जाट व रोढ समुदाय के अलावा धानक समाज दोनों प्रमुख पार्टियों में बंटा हुआ है। वहीं जजपा व इनेलो के उम्मीदवारों की यहां ज्यादा चर्चा नहीं है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के मध्य है।
भाजपा का गढ़ बन चुके अंबाला लोस हलके में एंटी इनकमबंसी भी भाजपा का पीछा नहीं छोड़ रही है। मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। बंतो कटारिया को राष्ट्रीय नेताओं की रैलियों का लाभ मिलने की आशा है। वहीं, वरुण चौधरी को अपने पिता की विरासत के साथ-साथ युवाओं का साथ मिल रहा है। आने वाले समय में कोई चुनावी घटनाक्रम नहीं घटा तो अंबाला सीट पर कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है।
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