एमबीएम न्यूज़/ऊना
पंजाब सीमा के आस-पास गांव में जहरीले पानी को लेकर जहां ग्रामीणों ने पीएसीएल उद्योग को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं पीएसीएल उद्योग ने ग्रामीणों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को नकार दिया है। उद्योग की माने तो उनका प्लांट जीरो डिस्चार्ज पर काम करता है। प्लांट से बाहर पानी की एक बूंद भी बाहर नहीं जाती है। प्लांट में निकलने वाले व्यर्थ पानी को आरओ के माध्यम से पूरा शुद्ध करके उद्योग के प्रयोग में ही लाया जाता है।
आरओ से शुद्ध होने वाले पानी को पीने के साथ अलग-अलग कार्य में प्रयोग किया जाता है। उद्योग के साथ लगते गांव में पानी में सोडियम की अधिक मात्रा को लेकर उद्योग अधिकारियों ने हैरानी जताई। अधिकारियों की कहना है कि जब उद्योग में लिए जा रहे पानी के सैंपल में सोडियम की मात्रा सही है, तो साथ लगते गांव में सोडियम की मात्रा कैसे अधिक हो सकती है। यह समझ से परे हैं। उन्होंने धर्मशाला से आई रिपोर्ट को लेकर कहा कि पानी कहा से लिया गया और किसने लिया, इस बारे में उद्योग को कोई जानकारी नहीं है।
बता दें कि हिमाचल व पंजाब की सीमा पर सटे जिला ऊना के गांव में बीनेवाल व मलूकपुर में जहरीले पानी को लेकर बीमारियों व फसलों के खराब होने की सूचना मिल रही थी। जिस पर जिला परिषद सदस्य पंकज सहोड़ ने मामला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उठवाया। बोर्ड ने उक्त गांवों से विभिन्न स्थानों से पानी के सैंपल लेकर धर्मशाला भेजे थे। रिपोर्ट में पता चला कि पानी में सोडियम की मात्रा एक लीटर पानी में 200 से लेकर 250 एमजी है, जबकि 20 एमजी होनी चाहिए।
सरकारी रिपोर्ट को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अर्लट हो गया है और इसकी सूचना हिमाचल, पंजाब और केंद्र सरकार को दे दी है। उधर बीनेवाल व मलूकपुर के ग्रामीणों का आरोप है कि पीएसीएल उद्योग का गंदा पानी खेतों में आता है, जिस कारण इन किसानों की फसलें तक नष्ट हो रही हैं। इस पानी का सेवन करने से दमा, हार्टअटैक, वीपी समेत कई अन्य घातक बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है।
लेकिन मामला मीडिया में आने के बाद पीएसीएल उद्योग ने भी अपनी सफाई देते हुए आरोपों का निकार दिया है। उन्होंने कहा कि उद्योग का एक बूंद भी पानी प्लांट से बाहर नहीं जाता। व्यर्थ पानी को शुद्व कर प्रयोग किया जा रहा है।
क्या कहते हैं उद्योग के डीजीएम
पीएसीएल उद्योग के डीजीएम एमपी एस वालिया का कहना है कि प्लांट जीरो डिस्चार्ज पर काम करता है। प्लांट से बाहर पानी की एक बूंद भी बाहर नहीं जाती है। उन्होंने उद्योग के साथ लगते गांव में लिए गए पानी के सैंपल पर भी आपत्ति जताई। उद्योग का कहना है कि सैंपल कहां से लिए गए, इस बारे उद्योग को कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि उद्योग के अंदर भी बोरवेल बनाए हुए हैं, जहां पर समय-समय पर पानी के सैंपल लिए जाते हैं। उद्योग के अंदर से लिए गए सैंपल की रिपोर्ट ठीक होती है। इसके अलावा प्रदूषण विभाग भी सैंपल लेता है, जिसकी कभी भी गलत रिपेार्ट नहीं आई।
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