एमबीएम न्यूज़/शिमला
ठियोग में एचआरटीसी हादसे में वीरवार को फिर 8 अनमोल जीवन खत्म हो गए। प्रदेश को हवाई उड़ानें भरने के सपने दिखाई जा रहे हैं, धरातल की हकीकत अब भी वहीं है। अब फिर हर हादसे की तरह एक मेजिस्ट्रियल इंक्वायरी होगी। जांच रिपोर्ट में क्या आएगा या क्या नहीं आएगा, इस बात पर संशय रहेगा।
यह प्रदेश की रिवायत बन चुकी है कि हरेक सड़क हादसे के बाद में मेजिस्ट्रियल इंक्वायरी करवाई जाती है। सवाल इस बात पर उठता है कि एक जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार कोई कार्रवाई करती है या नहीं। वही पुराना सवाल आज फिर सामने है, आखिर सरकार सड़कों को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है। हवा में उड़ने के सपने देखे जा रहे हैं। मगर सड़कों को सुरक्षित करने के लिए क्रैश बैरियर पर सरकार के पास मंथन करने तक का वक्त नहीं है।
हर एक हादसे के बाद चंद रोज तक सरकारी सिस्टम जागता है। लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात। एक-दो सालों से नहीं बल्कि कई वर्षों से क्रैश बैरियर लगाने की योजनाएं बनती रही हैं। मगर धरातल पर क्रियान्वयन सिफर हो जाता है। कुल मिलाकर फिर वही यह प्रश्न मुँह बाये खड़ा है, क्या जयराम सरकार प्रदेश को हवाई सेवा देने की बजाय धरातल पर आकर सुरक्षित सड़कों का सफर देगी या नहीं। क्रैश बैरियर होने की सूरत में आज भी हादसा टल सकता था।
सूबे में औसतन हर रोज 4-6 लोग अपनी जान गवां देते हैं मगर कोई ठोस कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई जाती है। आप को ही यह तय करना है कि प्रदेश को हैली टैक्सियां चाहिए या फिर सुरक्षित सड़कें।
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