ज्वालामुखी (मोनिका शर्मा) : ज्वालामुखी में आज गुजरात के गाांधीनगर के गिरनार मित्र मंडल की ओर से आयोजित श्रीमद् देवी भागवत ज्ञानयज्ञ का शुभांरभ हुआ। नौ दिवसीय इस भव्य आयोजन की भव्यता देखते ही बनती है। गुजरात के गांधीनगर से बड़ी तादाद में आए श्रद्धालु नौ दिनों तक चलने वाले देवी भागवत का आयोजन कर रहे हैं।
व्यासपीठ पर विराजमान श्री संजय भारती गोस्वामी ने अपने ओजस्वी कंठ से श्रोताओं को देवी भागवत की महिमा बताई व कहा कि वह लोग भागयशाली हैं, जो ज्वालामुखी पवित्रधाम में कथा का रसपान रहे हैं। श्री संजय भारती गोस्वामी के सुदंर भजनों की मधुर धुनों पर श्रोत्राओं ने गरबा नृत्य किया, जिससे पंडाल का महौल देखते ही बनता था।
उन्होंने श्रोताओं को संबोधित करते हुये कहा कि भारतीय समाज मर्यादाओं में जीने वाला संसार का सबसे श्रेष्ठ समुदाय है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक संस्कारों और परंपराओं में बंधा हुआ है। यही हमारी पहचान और खूबी है। यही हमारा सबसे बड़ा आभूषण है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में कथा श्रवण का अपना महत्व है। उन्होंने कहा कि गिरनार मित्र मंडल के प्रयासों से यह सब संभंव हुआ है। लिहाजा हम सबका दायित्व बनता है कि हम कथा का मात्र श्रवण नहीं बल्कि उसे अपने जीवन में अमल में लाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि पहले तीर्थ यात्रा जाने का लाभ मिलता था। लोग श्रद्घा के साथ तीर्थ यात्रा जाते थे। उनके सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं पर अब वैसा नहीं हो रहा। क्योंकि हमने तीर्थ यात्रा को केवल यात्रा बनाकर छा़ेड दिया है।
श्री संजय भारती गोस्वामी ने कहा कि पहले एक तीर्थ यात्रा भी कर आते थे तो मनोरथ पूर्ण हो जाते है पर अब हर साल तीर्थ यात्रा कर रहे है पर फल नहीं मिल रहा है, इसके पीछे का प्रमुख कारण यह कि लोगों ने इस साधारण यात्रा बना दिया है, पहले लोग तीर्थ यात्रा में धार्मिक ग्रंथ लेकर जाते थे पूरी श्रद्घा के साथ प्रभु का सिमरन करते हुए यात्रा पूर्ण करते थे पर अब स्थिति यह है कि यात्री यह चिंता करता है कि वहां रुकेंगे कैसे? कमरा मिलेगा कि नहीं? क्या खाएंगें? उन्होंने कहा कि जब तीर्थ यात्रा के दौरान अचार पापड़ की चिंता करेंगे तो फिर फल कैसे मिलेगा? मन पहले पहुंचे शरीर बाद में।
श्री संजय भारती गोस्वामी ने कहा कि सच्चा तीर्थ यात्री तो वहीं है जिसका मन तीर्थ धाम पर यात्रा शुरू करने के पहले पहुंच जाए और शरीर बाद में पहुंचें। पूरे रास्ते वो प्रभु नाम का सिमरन करते हुए यात्रा को पूरी करे और वहां पर भी पूरी तरह सात्विक रह कर भजन पूजन करें सच्चे भाव और साफ मन रख कर यदि आप तीर्थ यात्रा करेंगे तो तय मानिए फल जरुर मिलेगा।