बिलासपुर, 25 अप्रैल : कहते हैं, बच्चे को अगर माता-पिता का सही मार्गदर्शन मिले तो उसे मुकाम हासिल करने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। हिमाचल के महज 6 साल के बच्चे ने एक करिश्मा कर दिखाया है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के जुखाला से ताल्लुक रखने वाले नन्हें बालक युवान ने ऐसा कारनामा किया है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 6 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद दुनिया के सबसे ऊंचे बेस कैंप माउंट एवरेस्ट पर पहुंच गया।
अमूमन पर्वतारोही को यहां तक पहुंचना भी मुश्किल होता है, 17,598 फीट की ऊंचाई पर बेस कैंप में तापमान माइनस 15 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, लिहाजा यहां ऑक्सीजन की कमी भी होती है। ऑक्सीजन की दिक्कत ट्रैकिंग को मुश्किल बना देती है। जुखाला के 6 वर्षीय युवान ने माता- पिता सुभाष चंद्र व दिव्या भारती के साथ यहां तक पहुंचने में सफलता हासिल की है।
नन्हे बालक के पिता ने पिता सुभाष चन्द्र ने बताया कि परिवार के साथ काठमांडू से एवरेस्ट माउंटेन फ्लाइट ली, इसके बाद एयरपोर्ट से ट्रैकिंग शुरू की थी। बेस कैंप का सफर 8 अप्रैल को शुरू हुआ, 11 दिन में 135 किलोमीटर की यात्रा के बाद यह यात्रा खत्म हुई। बता दें कि सुभाष पिछले 8 वर्षो से दुबई में रह रहे हैं। वहां निजी कंपनी में वरिष्ठ पद पर तैनात हैं। उनका बेटा युवान भी दुबई में ही रहता है। इस समय पहली कक्षा में शिक्षा हासिल कर रहा है।
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उन्होंने बताया कि माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक जाने के लिए बेटे को 6 महीने बगैर आराम दिए हार्ड ट्रेनिंग करवाई। इसके बाद ही उसके सफर का जोखिम उठाया गया, जिसे बेटे ने बिना किसी तकलीफ के पूरा किया है। उन्होंने बताया कि 6 महीने में तैराकी, मार्शल आर्ट तथा दौड़ की ट्रेनिंग करवाई गई थी, इसकी वजह से वो अच्छे ट्रैकर के साथ ही तैराक, धावक तथा मार्शल आर्ट में भी माहिर हुआ है।
बता दें कि जुखाला क्षेत्र के सायर मुगरानी में युवान के दादा सुन्दर राम, दादी रहते हैं। नन्हा बालक स्कूल की छुट्टियों में हर साल दो माह के लिए पैतृक गांव आता है।
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