नाहन/कामिनी ठाकुर : जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित ग्राम पंचायत सैन की सैर की सरस्वती स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की ठान ली है। जैसा की आप सभी को पता है कि होली का त्यौहार (Holi festival) आने वाला है तो हर बार की तरह इस बार भी महिलाओं ने हाथों से प्राकृतिक रंग (natural Colour) तैयार किए हैं। गृहस्थी में व्यस्त महिलाएं कुछ समय निकाल कर इन रंगों को तैयार कर रही है, ताकि होली के त्यौहार को केमिकल रंगों की बजाय प्राकृतिक रंगों के साथ त्यौहार का आनंद उठाया जा सके।
अभी तक समूह की महिलाओं द्वारा 25 किलो (25 kg) के विभिन्न कलर तैयार किए जा चुके हैं, जिसकी जल्द ही बिक्री (sales) भी शुरू कर दी जाएगी। रंगों को तैयार करने वाली महिलाएं इन प्राकृतिक रंगों की बिक्री के लिए काफी उत्साहित (Excited) नजर आ रही है। इन प्राकृतिक रंगों का मूल्य बाजार के मूल्य से कम रखा गया है, ताकि उपभोक्ता प्रकृति के साथ होली का आनंद ले सके। महिलाओं का कहना है कि होली के पर्व से एक महीने पहले से ही शुद्ध रंगों को बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। पिछले साल भी रंगों की काफी मांग थी, जिससे महिलाओं को काफी आर्थिक लाभ (Economic benefits) मिला।
कैसे बनाया जाता है प्राकृतिक रंग…
प्राकृतिक रंगों को महिलाओं द्वारा प्राकृतिक चीजों के मिश्रण से ही तैयार किया जाता है। जिसमें अरारोट, फ़ूड कलर, चन्दन, हल्दी, चकुंदर, गुलाब जल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बिना केमिकल की अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो। यह प्राकृतिक रंग बच्चों व बुजुर्गों के लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
क्या है फायदे…
होली के रंगों से चेहरे पर एलर्जी, इन्फेक्शन जैसे रोग होने का खतरा बना रहता है, जोकि त्वचा के लिए नुकसानदायक (Harmful) भी हो सकता है। प्राकृतिक रंगों से कई तरह के फायदे होते हैं और त्वचा (Skin) को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। कुछ पक्के रंग का गुलाल त्वचा पर चढ़ जाता है, जिसे निकालना काफी मुश्किल हो जाता है। केमिकल वाले रंगों को छुड़ाते त्वचा को भारी नुकसान होता है। साथ ही एलर्जी व स्किन संबंधी समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। प्राकृतिक रंग इस्तेमाल के बाद आसानी से निकल जाता है, इससे त्वचा को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। इसे बच्चे बुजुर्ग सभी इस्तेमाल कर होली का आनंद उठा सकते है।
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मेहनत कर आत्मनिर्भर बन रही गांव की महिलाएं…
महिलाओं का कहना है कि त्योहारों पर इस तरह की सामग्रियां तैयार कर उन्हें आर्थिक लाभ व कुछ अलग करने की प्रेरणा मिलती है। सामग्रियों की बिक्री से जहां उनकी आय के साधन बढ़ते है, वहीं दिनचर्या से हटकर कुछ अलग सीखने का भी मौका मिलता है। अगर आप भी नेचुरल रंगों के साथ होली मनाना चाहते हैं तो रंगों की खरीद के लिए 8219518171 व 8091113441 पर संपर्क कर सकते हैं।