नाहन, 31 अक्तूबर : पीजीआई चंडीगढ़ में निर्विवाद निदेशक की जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन करने के पश्चात डाॅ. जगत राम 31 अक्तूबर को सेवानिवृत हो गए हैं। मूलतः सिरमौर के राजगढ़ के पबियाना गांव के रहने वाले डाॅ. जगत राम ने ताउम्र स्वच्छ व ईमानदारी छवि को दामन से अलग नहीं होने दिया। यही कारण है कि करीब सवा दो साल निदेशक रहने के दौरान कार्यशैली पर रत्ती भर भी उंगली नहीं उठी।
42 साल तक सेवाएं प्रदान करने वाले डाॅ. जगत राम को कैरियर की सर्वोच्च सौगात उस समय मिली थी, जब सवा चार साल पहले पीजीआई चंडीगढ़ में निदेशक के पद पर तैनाती मिली थी। इसके अलावा वो पीजीआई चंडीगढ़ में अलग-अलग जिम्मेदारियां भी निभाते रहे। बेहद ही सौम्य स्वभाव के डाॅ. जगत राम ने सेवानिवृत होने के बाद ये भी कहा है कि वो अपनी सेवाएं जनता को हमेशा उपलब्ध करवाते रहेंगे। बता दें कि डाॅ. जगत राम को जीवन में 35 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड हासिल हुए हैं। इसमें 2015 में बार्सिलोना में ऑस्कर इन पेडिट्रिक ऑप्थेमेलाॅजी भी मिला था।
2013 में सनफ्रांसिस्कों में बैस्ट ऑफ़ द बैस्ट अवार्ड से भी नवाजा गया था। पीजीआई चंडीगढ़ में 1979 में नेत्र चिकित्सा विज्ञान विभाग में कैरियर शुरू किया था। 2018-19 में डाॅ. जगत राम को देश के राष्ट्रपति ने पद्मश्री अवार्ड से भी अलंकृत किया था। 42 साल के कैरियर में डाॅ. जगत राम ने डब्ल्यूएचओ की फैलोशिप भी 1993 में प्राप्त की थी। नेत्र चिकित्सा विज्ञान में कई बेशुमार उपलब्धियां डाॅ. जगत राम की झोली में हैं। उल्लेखनीय है कि आंखों के एक लाख ऑपरेशन करने पर डाॅ. जगत राम को पदम श्री अवार्ड मिला था।
साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले डाॅ. जगत राम देश के उस नामी स्वास्थ्य संस्थान की टाॅप पोस्ट से रिटायर हुए हैं, जहां परिवार की आर्थिक तंगहाली के कारण 70 के दशक में उन्हें एक बार पीजीआई चंडीगढ़ के परिसर में पेड़ के नीचे भी सोना पड़ा था। एक समय वो भी था, जब चंडीगढ़ में एमएस की पढ़ाई के लिए दाखिला तो मिल गया, लेकिन फीस के पैसे नहीं थे। वो वर्ष 2017 में पीजीआई के निदेशक बने थे।
1985 में आईजीएमसी शिमला से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। पीजीआई चंडीगढ़ में निदेशक के पद पर रहने के दौरान भी डाॅ. जगत राम अपनी महारत को मरीजों के लिए इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करते थे।