नाहन, 10 अक्तूबर : 1621 में बसे शहर को लेकर दो बातें मशहूर रही हैं। पहली, नटनी का श्राप। दूसरी, नाहन में कद्दू की बेल में संतरे लगते है। जमाने से मौजूदा पीढ़ी ये सुनती आ रही है कि कद्दू की बेल में संतरे की कहावत है, लेकिन कभी ये नहीं समझ पाई कि ऐसा क्यों कहा जाता है। शुक्रवार सुबह कुछ लोगों को ये कहावत समझ आई। यानि, जो कहीं पर नहीं होता वो यहां संभव हो रहा है। दरअसल, शुक्रवार सुबह शहर की बदहाल सड़कों की मरम्मत शुरू हुई।
विधायक डाॅ. राजीव बिंदल भी श्रेय की होड़ में सक्रिय नजर आए। हर कोई उस समय चैंक उठा, जब पाया कि इंटर लाॅकिंग टाइलों के साथ ही कंकरीट को बिछाकर पैचवर्क किया जा रहा है। अब आप ही बताइए, ऐसा समावेश आपने पहले कहीं देखा है। सवाल, ये भी नहीं है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है।
गंभीर मसला ये है कि महज दो वर्ष से भी कम समय पहले शहर की सकुर्लर रोड़ पर इंटर लाॅकिंग टाइलों को बिछाने के लिए करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई था। हालांकि शुरुआती चरण में ही इंटरलॉकिंग टाइलों को बिछाने में घटिया गुणवत्ता की पोल खुलनी शुरू हो गई थी, लेकिन हर कोई आंखें मूंदे बैठा रहा। बारिश के बाद तो शहर की हालत बद से बदतर हो गई।
कांग्रेस ने देर से ही सही, प्रदर्शन की चेतावनी दी तो आनन-फानन में पैचवर्क शुरू कर दिया गया। सवाल ये भी उठता है कि सड़कों की मरम्मत के लिए इस तरह की इंजीनियरिंग का फार्मूला कहां से ईजाद किया गया। निश्चित तौर पर ऐसे फार्मूले को ईजाद करने वालों को तो सरकार को सम्मानित करना चाहिए। बड़ा सवाल ये भी है कि क्या भाजपा की सरकार इंटर लाॅकिंग टाइलों को बिछाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी या नहीं। शहर की जनता ये भी जानना चाहती है कि अब कंकरीट बिछाने पर कितनी राशि खर्च की जा रही है।
शहरवासियों की मानें तो सड़कों की हालत पहले भी दयनीय हुआ करती थी, लेकिन ऐसा दौर पहले कभी नहीं देखा गया। पैचवर्क को भी इतने ढीले तरीके से किया जा रहा है कि हालत खराब से भी बदतर है। शहर के लोग अब पैदल चलना तो भूल ही चुके हैं, क्योंकि अव्यवस्थित ट्रैफिक के बीच हर जगह सड़कों की खुदाई उनके जीवन को खतरा पैदा कर सकती है। कुल मिलाकर देखना यह भी होगा कि क्या शहर मूकदर्शक बनकर ऐसे ही मुश्किलों का सामना करता रहेगा या फिर नागरिक सभा जैसी संस्था उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर जनता के पैसे की बर्बादी पर सवाल पूछेगी।
आपको बता दें कि शहर की सकुर्लर रोड लोक निर्माण विभाग के अधीन है। जबकि अंदरूनी सड़कों की जिम्मेदारी नगर परिषद के पास है। सकुर्लर रोड काफी संकीर्ण होने के बावजूद भी हैवी ट्रैफिक को एक तरफ से चलने की इजाजत दी हुई है। दीगर है कि गिरि पेयजल योजना को लेकर सड़कों की खुदाई की गई थी। तब पानी की समस्या को लेकर लोग चुप्पी साधे रहे। मगर अब दोबारा पाइपें बिछाने की चूक सामने आई है। हाईडेंट लगाने को लेकर भी इन दिनों सड़कों को खोदा जा रहा है।
उधर, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पैचवर्क पर 20 लाख की राशि खर्च की जा रही है। चूंकि, सीवरेज लाइन बिछाने के लिए दोबारा खुदाई होनी है, लिहाजा अस्थाई इंतजाम किया गया है।