शिमला, 10 अक्टूबर : राजधानी के कच्चीघाटी इलाके में आठ मंजिला भवन के धराशायी होने की घटना ने कई परिवारों के लिए परेशानी खड़ी कर दी हैं। इस हादसे के बाद नगर नगम ने चार भवनों को अनसेफ करार देते हुए इन्हें खाली कर ढहाने के भवन मालिकों को आदेश दिए हैं। राहत की बात ये है कि भवन मालिकों की याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट ने भवनों को ढहाने के नगर निगम के आदेश पर फिलहाल स्टे लगा रखा है। लेकिन इन भवनों को पूरी तरह खाली कर दिया गया है।
चार अनसेफ भवनों में रहने वाले परिवार अब अपने ही शहर में रिफ्यूजियों की तरह रहने को मजबूर हैं। कोई अपने रिश्तेदारों के पास तो कोई रैंट पर मकान लेकर रह रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने हालांकि प्रभावित परिवारों के अलग-अलग गेस्ट हाउस में रहने का इंतज़ाम किया है, मगर गेस्ट हाउस में घर के तमाम सामान को लम्बे समय तक रखना मुमकिन नहीं है।
प्रभावित परिवारों ने अपनी जीवन भर की पूंजी जोड़-जोड़ कर इन भवनों में फ्लैट खरीद रखे थे। लेकिन नगर निगम के एक फरमान की वजह से इन्हें अपने फ्लैट तुरन्त खाली करने पड़े हैं। अधिकतर परिवार मध्यवर्गीय और सीनियर सिटीजन इन भवनों में रह रहे थे, जिन्होंने बुढ़ापे में शुकुन के पल बिताने के लिए यहां फ्लैट खरीदे थे। प्रभावित परिवारों ने प्रदेश सरकार से उनके भवनों को तोड़ने की बजाय बचाने की गुहार लगाई है।
प्रभावितों का कहना है कि एक इमारत के ध्वस्त होने के बाद साथ लगते अन्य भवनों को ढहाने व तोड़ने के नगर निगम प्रशासन के फरमान गले नहीं उतर रहे। दरअसल नगर निगम ने उन भवनों को तोड़ने के भी आदेश दिए हैं, जिनमे दरारें भी नहीं आई हैं और जो बिल्कुल सुरक्षित हैं। नगर निगम की छह सदस्यीय जांच टीम ने महज कुछ घण्टों तक घटनास्थल का अवलोकन कर इतना बड़ा फैसला ले लिया।
पांच मंजिला पूजा निवास में अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ रहने वाली आस्था उप्पल ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में बताया कि वर्ष 2000 में उनके माता-पिता ने इस निवास में एक फ्लैट खरीदा था और तब से उनका परिवार यहां रह रहा है। पहली अक्तूबर को आठ मंजिल भवन के जमींदोज होने के बाद नगर निगम की टीम ने यहां का दौरा कर उनके भवन को भी अनसेफ करार दिया है और नगर निगम ने हमें इसे गिराने के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि उनका भवन एनएच के साथ सटा है और इसे ढहाने से एनएच भी खतरे की जद में आ जाएगा। अगर ऐसा होता है तो एनएच को बचाने के लिए पक्का डंगा दिया जाएगा। अब अगर अगर उनके भवन को ही पक्का डंगा दिया जाए, तो भवन पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा।
इसी तरह अन्य अनसेफ घोषित भवनों को तोड़ने की बजाय इन्हें बचाने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने प्रभावित परिवारों के भवनों को तोड़ने से बचाने के लिए राज्य सरकार से ठोस कदम उठाकर नगर निगम को निर्देश देने का आग्रह किया है।
ग़ौरतलब है कि कच्चीघाटी घटना के बाद मामले की जांच के लिए नगर निगम की ओर से बनाई गई छह सदस्य कमेटी ने जमींदोज हुए भवन से सटे चार अन्य भवनों को अनसेफ घोषित कर तोडऩे की सिफारिश की है। इन चार भवनों में दो भवन जमींदोज हुई इमारत के साथ लगते है, जबकि दो अन्य भवन जमींदोज हुई इमारत से नीचे की ओर पड़ते है। वहीं कमेटी की रिपोर्ट पर अमल करते हुए निगम ने इन भवनों को तोडऩे के नोटिस जारी किये हैं।
वहीं भवन मालिकों ने निगम प्रशासन के इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है तथा कोर्ट ने निगम के आदेशों और फिलहाल आठ हफ्तों तक रोक लगा दी है। उधर, राज्य सरकार ने भी कच्ची घाटी हादसे पर डीसी शिमला की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।