शिमला, 25 सितंबर : अक्सर ही आप कोई भी नतीजा जारी होने पर पढ़ते हैं कि लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ा, लेकिन इस बार यूपीएससी की परीक्षा में लड़कों ने लड़कियों को पछाड़ दिया है। हिमाचल के लिए यह गर्व के पल हैं, जब पांच युवक एक साथ यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए है। एक ने देश भर में टॉप 100 जगह बनाई है,तो दूसरे का 141 वां रैंक भी काबिले तारीफ है। यही नहीं, एक दृष्टिबाधित युवक ने भी अपनी काबिलियत का डंका बजाया है। हालांकि पिछले दो नतीजों की बात करें तो मुस्कान जिंदल व चारू शर्मा दो ऐसी लड़कियां थी, जिन्होंने यूपीएससी के परीक्षा में टॉप रैंक हासिल किए थे, लेकिन इस बार यूपीएससी में युवकों ने धमाल मचाया है। एक अहम बात यह भी है कि यूपीएससी में सफल 5 युवाओं में से चार का ताल्लुक ग्रामीण परिवेश पर है जबकि एक का संबंध शहरी क्षेत्र से है ।
सोलन से दो युवकों ने देश की सबसे कठिन परीक्षा को उत्तीर्ण किया, जबकि सिरमौर, बिलासपुर व हमीरपुर के हिस्से 1-1 का आंकड़ा है। खास बात यह है कि पिछले 7 दिन में एनआईटी हमीरपुर को भी गौरव के पल हासिल हुए हैं, जहां एक तरफ एनआईटी के छात्र को डेढ़ करोड़ का पैकेज मिलने की खबर आई थी, वही एनआईटी के 2 छात्रों ने इस साल यूपीएससी की परीक्षा को उत्तीर्ण कर संस्थान को गौरवान्वित किया है। घुमारवीं के इशांत ने 80 वां रैंक प्राप्त किया है, जबकि सोलन के व्योम बिंदल ने 141वां रैंक मिला है।
1. NIT के स्टूडेंट को 80वां रैंक
2018 में एनआईटी (NIT) से बीटेक की डिग्री मैकेनिकल ट्रेड (Mechanical trade) में हासिल करने वाले निशांत जसवाल ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में 80 वां रैंक हासिल किया है। मात्र 24 साल के इशांत जसवाल ने देशभर में टॉप 100 (Top Hundred) में जगह बना कर एक इतिहास भी बनाया है। इस बात से साबित होता है कि हिमाचल (Himachal) के ग्रामीण परिवेश के एक युवक ने खुद को यूपीएससी की परीक्षा के लिए इस हद तक तैयार (Prepare) कर लिया था कि वह खुद भी नहीं जानता था कि वह एक दिन यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में देश भर में 80 वा रैंक हासिल कर न केवल माता-पिता बल्कि परिवार के साथ-साथ हिमाचल का नाम भी रोशन करेगा।
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2. सोलन के व्योम बिंदल
हिमाचल के पूर्व स्पीकर डॉ राजीव बिंदल के पोते व्योम बिंदल की सफलता लीक से हटकर है, क्योंकि सात साल की कठिन यात्रा हर कोई दुर्लभ ही कर सकता है। सात साल पहले एक होनहार लड़के ने एनआईटी हमीरपुर से मेकेनिकल ट्रेड में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली। मल्टी नेशन कंपनी में नौकरी भी मिल गई। अचानक ही यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने का फितूर पैदा हो गया।
एक नहीं, व्योम को 5 बार असफलता का सामना करना पड़ा। छठे व अंतिम प्रयास में व्योम ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी थी। शिद्दत से कोशिश की गई, 24 सितंबर 2021 की शाम वो सपना साकार हुआ, जो व्योम ने 2014 में देखा था। यूपीएससी के नतीजे में व्योम को 141वां रैंक हासिल हुआ।
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3. सिरमौर के उमेश
सिरमौर के कोलर के रहने वाले मेधावी उमेश लबाना संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा पास करने वाले हिमाचल के पहले दृष्टिबाधित बन गए हैं। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 397वा रैंक प्राप्त कर इतिहास रचा है। वर्तमान उमेश दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) से राजनीति विज्ञान में पीएचडी (PhD) कर रहे हैं। अपनी कैटेगरी में उमेश ने टॉप किया है।
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4. हमीरपुर के अभिषेक धीमान
नादौन के गलोड़ गांव के रहने वाले अभिषेक धीमान (27) का चयन सबसे पहले पैतृक प्रदेश में एक्साइज इंस्पेक्टर के लिए हुआ है। वो तब भी बेहतर करने की कोशिश में जुटा रहा। इसके बाद दूसरी कामयाबी तब मिलती है, जब चयन खंड विकास अधिकारी के पद पर हो जाता है, मगर कोशिश को फिर भी बरकरार रखा जाता है। इसके बाद वह हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हो जाता है, मगर दिल में यह बात रहती है कि बचपन में आईपीएस अधिकारी (IPS officers) बनने का सपना देखा था, जो पूरा नहीं हो रहा है। लिहाजा वह यूपीएससी के परीक्षा को भेदने का लक्ष्य बरकरार रखता है।
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5. बद्दी के युवक को विशाल चौधरी 665वां रैंक
23 मार्च 1995 को जन्में विशाल चौधरी ने यूपीएससी की परीक्षा में 665वां रैंक हासिल किया है। हिमाचल के बद्दी के समीपवर्ती गुल्लरवाला पंचायत में एक बेटे ने इस मौके पर अपने फार्मासिस्ट पिता भाग सिंह को ताउम्र न भूलने वाला तोहफा दिया है। दरअसल, वो यूपीएससी की परीक्षा को क्रैक करने के बाद आज दिल्ली से घर लौट रहा है। 23 मार्च 1995 को जन्में विशाल चौधरी ने यूपीएससी की परीक्षा में 665वां रैंक हासिल किया है। पिता भाग सिंह आयुर्वैदिक विभाग में इस समय बद्दी के समीप ही चीफ फार्मासिस्ट के पद पर तैनात हैं।
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