शिमला, 25 सितम्बर : अक्सर ही यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों एक सामान्य जवाब होता है कि वो बचपन से प्रशासनिक अधिकारी (Administration Officer) बनने का सपना सजाए हुए थे। मगर हिमाचल में एक रिटायर्ड फौजी (retired soldier) होशियार सिंह के बेटे ने ऐसा सपना बचपन में नहीं देखा था। यह जरूर है कि माता -पिता उसे एक सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी के पद पर देखना चाहते थे ।
2018 में एनआईटी (NIT) से बीटेक की डिग्री मैकेनिकल ट्रेड (Mechanical trade) में हासिल करने के बाद निशांत जसवाल ने एमएनसी (Multinational Company) में नौकरी शुरू कर दी, क्योंकि वह यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा की तैयारी से पहले कुछ समय खुद को एक्सप्लोर (Explore) करना चाहता था। शायद यह भी उनकी सफलता का एक मूल मंत्र बना।
मात्र 24 साल के इशांत जसवाल ने देशभर में टॉप 100 (Top Hundred) में जगह बना कर एक इतिहास भी बनाया है। हालांकि गत वर्ष नालागढ़ क्षेत्र से मुस्कान जिंदल ने इस परीक्षा में 87 वां रैंक हासिल किया था, लेकिन इशांत ने 80वां रैंक हासिल कर हर किसी को तो आश्चर्यचकित किया है, यहां तक कि खुद भी यह रैंक (rank) मिलने पर दंग हैं।
इस बात से साबित होता है कि हिमाचल (Himachal) के ग्रामीण परिवेश के एक युवक ने खुद को यूपीएससी की परीक्षा के लिए इस हद तक प्रिपेयर (Prepare) कर लिया था कि वह खुद भी नहीं जानता था कि वह एक दिन यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में देश भर में 80 वा रैंक हासिल कर न केवल माता-पिता बल्कि परिवार के साथ-साथ हिमाचल का नाम भी रोशन करेगा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क में शनिवार सुबह जब इशांत से संपर्क किया तो बेहद ही सरल स्वभाव के युवक ने नमस्कार कहकर अभिवादन किया। तब तक पहचान भी नहीं हुई थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में इशांत ने कहा कि बचपन का सपना नहीं था, लेकिन परिवार अक्सर ही यूपीएससी (UPSC) के बारे में बात किया करता था। एनआईटी (NIT) से पास आउट (pass out) होने के बाद पहले नौकरी करने का फैसला लिया, ताकि खुद को एक्सप्लोर (Explore)कर सके। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2020 में यूपीएससी का पहला प्रयास दिया था। इसी प्रयास में 80 वा रैंक हासिल हुआ है।
उनका कहना था कि हालांकि पिता की नौकरी (Job) के दौरान कुछ समय देहरादून में भी बिताया लेकिन जमा दो तक की पढ़ाई गांव में ही हुई। प्रारंभिक शिक्षा (Primary education) के बाद निजी स्कूल में जमा दो की शिक्षा प्राप्त की। युवाओं को अपने संदेश में इशांत ने कहा कि आत्मविश्वास (Self-confidence) सफलता की बड़ी कुंजी है। एकाग्रता व कड़ी मेहनत (concentration and hard work) में कुछ ऐसी चीजों को कुछ समय के लिए त्यागना पड़ता है, जो आपको बेहद ही पसंद हो। उन्होंने बताया कि नौकरी से जुटाई राशि से 9 महीने की कोचिंग (coaching) लेने का फैसला लिया था, लेकिन बीच में कोविड (Covid) के कारण घर लौटना पड़ा। वापस आने के बाद ऑनलाइन (online) ही तैयारी की थी।
उधर घुमारवीं से एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क प्रतिनिधि सुभाष कुमार गौतम के मुताबिक बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल के पडयालग के होनहार युवा इशांत के पिता होशियार सिंह एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं। इशांत ने प्रारम्भिक शिक्षा राजकीय माध्यमिक पाठशाला बाडी छजोली से की तथा 12 वीं तक की पढ़ाई हिम सवोदय सीनियर सैकंडरी स्कूल घुमारवीं से 2014 में पूरी की।
इशांत ने 2014-2018 तक हमीरपुर N IT से मकैनिकल स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद नौकरी की लेकिन माता पिता का सपना अपने बेटे को कुछ और बनाने का था, पिता के सपने को पूरा करने के लिए इशांत ने नौकरी छोड़ दी। इशांत को इस सफलता पर घुमारवीं के विधायक व मंत्री राजेन्द्र गर्ग व पूर्व विधायक राजेश धर्माणी ने बधाई दी है