पांवटा साहिब, 09 सितंबर : उपमंडल के भगानी में 1965 में जन्में इंजीनियर मनोज उप्रेती को चीफ इंजीनियर के पद से निदेशक (operation) की पोस्ट पर प्रमोशन मिली है। बता दें कि बिजली बोर्ड में ये सर्वोच्च ओहदा है, क्योंकि इसके बाद केवल प्रबंध निदेशक के पद पर ही प्रमोशन होती है। बोर्ड में चार निदेशक होते हैं, इसमें से एक आईएएस भी रहता है।
32 साल की उम्र में अभियंता मनोज उप्रेती ने सिरमौर के अलावा भाबानगर में एससी के पद पर भी सेवाएं दी हैं। कहते हैं, होनहार बीरबान के होत चिकने पात, यानि पालने में ही बच्चे के भविष्य का पता चल जाता है। ये कहावत, उप्रेती पर भी खरी उतरी है। दसवीं की परीक्षा में हिमाचल शिक्षा बोर्ड की मैरिट सूची में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। प्री इंजीनियरिंग की पढ़ाई में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पांचवा रैंक हासिल किया था।
बचपन से ही होशियार थे, यही कारण था कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय हैदराबाद में बीटेक में दाखिला मिल गया था। इसके बाद एमबीए की पढ़ाई भी की है। 1989 में बिजली बोर्ड में बतौर सहायक अभियंता (SDO) अपनी सेवाएं शुरू की। अभी सेवानिवृत होने में काफी वक्त है। ये भविष्य के गर्भ में छिपा है कि वो बिजली बोर्ड के सर्वोच्च ओहदे पर पहुंचेंगे या नहीं, अलबत्ता ये जरूर है कि मंजिल केवल एक कदम दूर है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में अभियंता मनोज उप्रेती ने कहा कि बचपन से ही इंजीनियर बनने का शौक था। ये सफलता, 1989 में मिल गई थी। बिजली बोर्ड में सेवाएं देने के दौरान बेहतरीन करने का प्रयास किया है। अब जो नई जिम्मेदारी मिली है, उसकी कसौटी पर भी सौ फीसदी खरा उतरने का प्रयास करेंगे। दीगर है कि सरकार ने 7 सितंबर को इंजीनियर मनोज उप्रेती की प्रमोशन के आदेश जारी किए थे।