सुंदरनगर: वैश्विक कोरोना महामारी में जहां एक ओर फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा दिन रात आम जनता की सेवा करने में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार के आश्वासनों के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज में तैनात सफाई कर्मचारियों को वेतन काटकर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि सरकार की ओर से जो ईपीएफ (EPF) देने का ऐलान किया था। उस ईपीएफ के नाम पर उक्त कर्मचारियों के खाते में एक पैसा भी नहीं आया है।
लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह सुंदरनगर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक वर्ग एवं दलित समाज वर्ग के जिला संयोजक चमन राही ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां एक ओर मेडिकल कॉलेज नेरचौक के डॉक्टर और पैरामेडिकल (Doctors and Paramedical) सहित सफाई कर्मचारियों की हौसला अफजाई (Amniotic fluid index) के लिए सरकार को उनके खाते से पैसे डालने चाहिए थे लेकिन उनके खाते से पैसे काटे जा रहे हैं।
चमन राही ने सफाई कर्मचारियों को 15000 प्रति महीना देने की सरकार से मांग की है। कहा है कि सरकार ने जो वायदा किया है कि ऐसे सफाई कर्मचारियों के खाते में सरकार ईपीएफ डालेगी तो वह घोषणा भी सरकार जल्द से जल्द पूरी करें। अन्यथा ऐसे मौके में उक्त कर्मचारियों के साथ सीधे तौर पर छलवा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि या वर्ग इस महामारी के आक्रमण से ग्रस्त लोगों के साथ सीधे संपर्क में है और अस्पताल मेडिकल कॉलेज परिसर को साफ सुथरा रखना स्थाई कर्मचारियों के कंधे पर है। लेकिन जिस तरह से मेडिकल कॉलेजों का जिम्मा निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा गया है।
निजी कंपनियों की मनमानी इस कोरोना काल में सफाई कर्मचारियों और अन्य वर्ग के कर्मचारियों पर भारी पड़ती नजर आई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि नेरचौक
मेडिकल कॉलेज की ज़िम्मेदारी जिन तीन कंपनी को दी है, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने की मांग की है। वही राही का कहना है कि जिस तरह से एएसपी मंडी और जोनल अस्पताल से बाल रोग विशेषज्ञ का तबादला किया गया है। यह सरकार ने दलित विरोधी निर्णय लिया है और उसे बदले की भावना से कार्य करना करार दिया है और सरकार से मांग की है कि उक्त तबादले तत्काल प्रभाव से जनहित में रद्द करें।
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