शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने धारा-118 में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में हरियाणा के पंचकुला निवासी कोराबारी के पॉलीग्राफ़ टैस्ट और वॉयस सैंपल करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अब कारोबारी का वॉयस सैंपल और पॉलीग्राफ़ टैस्ट होगा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी को वॉयस सैंपल व पॉलीग्राफ़ टैस्ट देने के लिए जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के आदेश पारित किए हैं। हाईकोर्ट ने यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय की उस व्यवस्था को आधार बनाते हुए दिया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जनहित के मददेनजर आरोपी को वॉयस सैंपल व पॉलीग्राफ़ जैसे टैस्ट के लिए बाध्य किया जा सकता है। निजता के मौलिक अधिकार के कारण न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित करने से नहीं रोका जा सकता।
दरअसल नवंबर 2018 में शिमला की विशेष अदालत ने धारा 118 के तहत जमीन देने में भ्रष्टाचार मामले में कारोबारी विनोद मित्तल के वॉयस सैंपल व पॉलीग्राफ़ टैस्ट करवाने की अनुमति दी थी। इसके बाद कारोबारी ने इस आदेश को प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। करीब 10 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने भ्रष्टाचार के तहत केस दर्ज किया है। जानकारी अनुसार विजिलेंस के पास आरोपितों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है। इसमें पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और राजस्व विभाग के पूर्व कर्मचारी के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है। इसकी पुष्टि के लिए वॉयस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ़ टैस्ट करवाया जाना है।
आरोप है कि वर्ष 2010-2011 में पी मित्रा के प्रधान सचिव (राजस्व) रहते धारा 118 के नाम पर स्वीकृति देने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ। बाहरी राज्यों के लोगों को हिमाचल में जमीन खरीदने की इजाजत देने के बदले मोटी रकम की डील हुई। इस मामले में दो कारोबारियों पर रिश्वत लेने और उसे अधिकारियों को देने का आरोप है।