सुंदरनगर: हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सब्जी विज्ञान विग द्वारा सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र, सुन्दरनगर में किया गया। इस शिविर में 30 प्रशिक्षणार्थियों किसानों, कृषि अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सब्जी विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक पर व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यक्रम में किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक विस्तारपूर्वक जानकारी व व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। डॉ. प्रदीप ने कहा कि किसान की उत्पादन लागत में बढ़ोतरी होती है। ऐसी स्थिति में ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अभी तक यह तकनीक जापान, कोरिया, स्पेन, ईटली जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है। भारत में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय इस तकनीक को लोकप्रिय बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने लगभग 25 से अधिक बैक्टिरियल विल्ट व निमाटोड प्रतिरोधी रूटस्टॉक की पहचान की है। जिनका प्रयोग ग्राफ्टिंग में किया जाता है। इसके अतिरिक्त ग्राफ्टिंग के माध्यम से पोमैटो को तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। पोमैटो एक ऐसा पौधा है। जिसमें एक ही पौधे में टमाटर तथा आलू पैदा किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि टमाटर, शिमला मिर्च, हरी मिर्च व आलू, टमाटर कुहल की सब्जियां हैं। जिनका उत्पादन प्रदेश में व्यापक स्तर पर नकदी फसल के तौर पर हो रहा है। इन फसलों का किसानों की आजीविका सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने बताया कि इन फसलों में बैक्टिरियल विल्ट व निमाटोड की समस्या गंभीर है। जिनका उचित प्रबन्धन न होने की वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसान इन समस्याओं के प्रबन्धन के लिए कई प्रकार की दवाईयों का प्रयोग करते हैं। लेकिन इनका उचित प्रबन्धन नहीं हो पाता है।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के कायक्रम सम्न्वयक डॉ. पंकज सूद व अन्य वैज्ञानिक डॉ. डी एस यादव, डॉ. कविता शर्मा, डॉ. शकुन्तला राही, डॉ. एल के शर्मा व कृषि व बागवानी के अधिकारी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।