सुंदरनगर: देशभर में नई-नई टेक्निक और नए इंजनों से बेहतरीन गाड़िया व खेतों में हल जोतने के लिए ट्रैक्टर बनाते हुए तो कई इंजीनियर देखे होंगे। लेकिन आज हम आप को एक ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं। जिस ने बिना पढे-लिखे पुराने स्कूटर और बाइक के इंजन से किसानो के लिए खेतों को जोतने वाला ट्रैक्टर बनाकर तैयार कर दिया है। यह शख्स है, मंडी जिला के उपमंडल सुंदरनगर की ग्राम पंचायत पलौहटा के नेरी गांव निवासी रमेश कुमार व उनका बेटा जितेंद्र वर्मा। दोनों पिता और पुत्र ने कबाड से कृषि योग्य ट्रैक्टर बनाकर कारनामा कर दिखाया है।
उन्होंने कंडम हुए स्कूटर व बाइक के चालू हालत के इंजन खरीद कर खेतों में हल जोतने वाले ट्रैक्टर का निर्माण किया है। जानकारी देते हुए रमेश कुमार ने कहा कि उनका 4 सदस्यों का आईआरडीपी परिवार है। उनकी बहू पिछले 4 सालों से किडनी के रोग से जूझ रही है।
उन्होंने कहा कि परिवार की फाइनेंशियल हालत ठीक नहीं होने के कारण उन्हें अपनी बहू का हफ्ते में दो बार डाइलिसिस करवाने में बहुत समस्या का सामना करना पड़ रहा है। रमेश कुमार ने कहा कि परिवार पर आर्थिक बोझ व बीमारी के कारण दिन काटने मुश्किल हैं। लेकिन अपनी लग्न व कुछ कर दिखाने की चाह ने पिछले एक वर्ष में उनसे यह कारनामा कर दिखाया है।
असफलताओं से नहीं मानी हार :
रमेश कुमार ने कहा कि अजिविका कमाने के लिए वह दो वर्ष विदेश में भी अपनी किस्मत अजमा चुके हैं। लेकिन उन्हें हमेशा असफलता ही हासिल हुई। उन्होंने कहा कि प्राइवेट मकेनिकल कार्य करने में खासी सफलता नहीं मिली। रमेश कुमार ने कहा कि पुराने इंजन से हल जोतने वाला ट्रैक्टर बनाने में शुरुआत में काफी समस्या आई। लेकिन बार-बार की मेहनत व लग्न से यह मुकाम हासिल कर लेने में सफल हुए।
लक्ष्य पाने के लिए यूट्यूब ने भी की सहायता :
जानकारी देते हुए रमेश कुमार ने कहा कि अपने कार्य के शुरुआती दौर में यूट्यूब व अपने मकेनिकल कार्य के ज्ञान का उपयोग कर डिस्पोजल स्कूटर के इंजन कबाड़ से खरीद कर उसे हल जोतने वाले ट्रैक्टर में तबदील करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने कहा कि कई बार कबाड़ में लाए सामान से कार्य में फेल होने के बाद दोबारा कबाड़ को भी उन्होंने बेच दिया। लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी और लक्ष्य सिद्ध कर ही दिखाया।
1 लीटर पैट्रोल में 2 बीघा भूमि में होगी जुताई :
रमेश कुमार ने कहा कि उनके द्वारा बनाए गए खेती योग्य ट्रैक्टर में किसान एक लीटर पैट्रोल से 2 बीघा भूमि की जुताई कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस ट्रैक्टर का वजन लगभग 55 किलोग्राम के करीब है। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर में 5 हल लगे हुए हैं और इसका मूल्य अधिकतम 20 हजार रुपए है। उन्होंने कहा कि इसका डिजाइन बिल्कुल साधारण है। साधारण, रिंग व डबल रिंग तीन प्रकार के टायर वर्जन में बनाया गया है।
पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के लिए साबित होगा वरदान :
रमेश कुमार ने कहा कि उनके द्वारा बनाया गया ट्रैक्टर हिमाचल प्रदेश व अन्य पहाडी राज्यों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस ट्रैक्टर को छोटी से छोटी जगह ले जाया सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी प्रकार का वाइब्रेशन नहीं होने के कारण किसान के स्वास्थ्य पर नेगेटिव प्रभाव नहीं डालता है। उन्होंने कहा कि इस ट्रैक्टर के उपयोग से कम खर्च में अधिक खेती की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस ट्रैक्टर का मूल्य कम होने के कारण इसका उपयोग कर गरीब किसान अच्छा लाभ कमा सकता है।
सरकार से की ट्रैक्टर को लेकर प्रोत्साहन की मांग :
रमेश कुमार व उनके पुत्र जितेंद्र वर्मा ने कहा कि किसानों को इस ट्रैक्टर की उपयोगिता को लेकर प्रदेश सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सस्ते और अधिक मुनाफे वाले ट्रैक्टरों के निर्माण से किसानों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाया जा सकता है।
भविष्य में ट्रैक्टर में करेंगे बदलाव:
रमेश कुमार ने कहा कि अब इस ट्रैक्टर के सफल होने के बाद भविष्य में बदलाव लाएंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस ट्रैक्टर में बदलाव कर खेत से कचरा, घास व अन्य खरपतवार की सफाई करने के लिए उपकरण लगाएं जाएंगे। इससे जुताई के साथ-साथ खेत की सफाई भी होगी। उन्होंने कहा कि स्कूटर के इंजन के बाद अब वह मोटरसाइकिल के इंजन से भी ट्रैक्टर बनाने में सफल हो गए हैं।