एमबीएम न्यूज/नाहन
अक्सर आपने नाहन व पांवटा साहिब में एक ऊंचे कद वाले व्यक्ति को बांसुरी वादन करते देखा होगा। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि वो अपने जमाने का लंगडू पहलवान है। 43 साल के धर्मपाल को प्रदेश का लंगडू पहलवान कहा जाता था। बचपन में ही एक पांव पोलियो से ग्रस्त हो गया, लेकिन लंगड़ा कर चलने के बावजूद भी धर्मपाल ने करीब 18 साल तक कुश्ती के क्षेत्र में प्रदेश को गौरवान्वित किया।
धीरे-धीरे शरीर ने कुश्ती के लिए साथ देना छोड़ दिया। साथ ही जेब में इतना पैसा भी नहीं था कि वह अपने खर्चे पर दूसरे राज्यों में जाकर कुश्ती कर पाता। मूलत: शिमला के फागली का रहने वाला धर्मपाल एक अरसे से पांवटा साहिब में कृपालशिला गुरुद्वारे के समीप झोंपड़ी में रह रहा है। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि विकट परिस्थितियों के बावजूद भी लंगडू पहलवान ने कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। बांसुरी वादन से लोगों का मनोरंजन करता है। इससे कोई प्रभावित हो जाए तो उसे चंद सिक्के या 10 का नोट थमा देता है।
शिमला से पांवटा साहिब बसने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में धर्मपाल ने कहा कि शिमला में उतराई-चढ़ाई संभव नहीं रह गई थी, लिहाजा उसे मैदानी इलाके में रहने को कहा गया। फिर उसने कुछ बरस पहले पांवटा साहिब में एक झोंपड़ी बना ली। बेटी आठवीं कक्षा में पढ़ रही है तो छोटा बेटा छठी कक्षा में।
सरकारी मदद के बारे में पूछे जाने पर लंगडू पहलवान ने कहा कि विकलांगता पेंशन 600 रुपए प्रतिमाह मिलती है। इससे घर का गुजर-बसर नहीं चल सकता। लिहाजा बांसुरी वादन की कला को आमदनी का जरिया बनाया है। उन्होंने कहा कि कई लोग उन्हें भिखारी समझ लेते हैं, लेकिन उनकी सोच गलत होती है क्योंकि वो कभी हाथ नहीं फैलाते। मनोरंजन के बाद लोग कुछ देते हैं तो ले लेते हैं।
लंगडू पहलवान का कहना है कि वो जूते बनाने के कारीगर थे, जिसकी आमदनी को वो कुश्ती लडऩे के जुनून में खर्च करते थे। लेकिन धीरे-धीरे तब समझ आने लगा, जब परिवार का लालन-पोषण करने की जिम्मेदारी पड़ गई। लंगडू पहलवान का कहना है कि सरकार ने सिवाए पेंशन के कोई मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि महाबली द ग्रेट खली की किस्मत अच्छी रही, जिन्हें पंजाब के डीजीपी भुल्लर ले गए, अन्यथा वो भी आज मुश्किलों का सामना कर रहे होते। कुल मिलाकर लंगडू पहलवान के स्वाभिमान की दाद देनी पड़ेगी।
पाठकों से निवेदन है कि कभी आपको लंगडू पहलवान मिले तो उसका बांसुरी वादन सुनने के बाद आर्थिक मदद अवश्य करें। जज्बाती लंगडू पहलवान आपसे भीख नहीं मांगेगा।
क्या बोले खास बातें…
लंगडू पहलवान का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा प्रेम कुमार धूमल कई मंचों पर उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। लेकिन आज जब वो गुरबत से गुजर रहे हैं तो कोई नहीं पूछ रहा। उन्होंने कहा कि वो आज भी हजारों बच्चों को कुश्ती की ट्रेनिंग देने की आमद रखते हैं। बशर्ते उन्हें कोई बुलाए।