रेणु कश्यप/नाहन
जीव विज्ञान के क्षेत्र में शहर के मेधावी बेटे डॉ. अमित सिंह ने यूएसए की डेटन (Dayton University) में जबरदस्त सफलता हासिल की है। हाल ही में यूनिवर्सिटी की अधिकारिक वैबसाइट पर अमित की सफलता पर लेख प्रकाशित हुआ, तब शहर के चुनिंदा लोगों को अमित की इस बड़ी उपलब्धि का पता चला।
डॉ. सिंह के पिता प्रो. एचओ सिंह व माता दिनेश कुमारी भी एक नामी शिक्षाविद रहे हैं। पिता सोशलॉजी के कॉलेज प्रवक्ता थे, वहीं मां वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला से बतौर प्रधानाचार्य रिटायर हुई। दरअसल डॉ. अमित सिंह को यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान में स्चूयूलिन चेयर (Schuellein Chair) मिली है। संभवत: डॉ. अमित प्रदेश के पहली शख्सियत हो सकते हैं, जो इस मुकाम तक पहुंचे हैं। अहम बात यह है कि यूएसए के इस विश्वविद्यालय ने लेख में डॉ. अमित सिंह के नाहन कॉलेज का जिक्र भी किया है।
मूलत: शहर की हाऊसिंग बोर्ड कालोनी के रहने वाले डॉ. अमित सिंह को अब जीव विज्ञान के नामी वैज्ञानिकों में शुमार किया जाता है। स्चूयूलिन चेयर पर डॉ. अमित सिंह का तीन साल का कार्यकाल 16 अगस्त से शुरू हो रहा है। सनद रहे कि डॉ. अमित सिंह ने इस विश्वविद्यालय में बतौर फेकल्टिी सदस्य 2007 में अपना कैरियर शुरू किया था। इस पद को हासिल करने के बाद अब अमित के कंधों पर जीव विज्ञान के क्षेत्र में एडवांस रिसर्च की जिम्मेदारी होगी। साथ ही इस क्षेत्र के हाई प्रोफाइल वक्ताओं को छात्रों से रू-ब-रू करवाएंगे।
विश्वविद्यालय ने नाहन के बेटे डॉ. अमित सिंह को यह पद ऐसे ही नहीं सौंपा है, बल्कि इसके पीछे डॉ. सिंह का लंबा तजुर्बा व रिकॉर्ड भी शामिल है। विश्वविद्यालय के इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने से पहले डॉ. अमित सिंह की तैनाती सैंट्रल फॉर टिश्यू रि-जैनरेशन व इंजीनियरिंग में अंतरिम निदेशक के पद पर हुई थी। आप यह भी जानकर हैरान होंगे कि नाहन के बेटे ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक के तौर पर शोध के कार्योंं को बढ़ाने के मकसद से संघीय व निजी शोध निधि में करीब एक मिलियन डॉलर की राशि भी जुटाई थी।
गत वर्ष भी विश्वविद्यालय को यूएसए के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान से 3,89,494 मिलियन डॉलर का अनुदान मिला था, ताकि मानव आंखों में रेटिनल बीमारी व जन्म दोषों के आनविक आधाार को समझने के लिए अध्ययन किया जा सके। 2010 में भी डॉ. सिंह ने अनुदान हासिल किया था। खुद डॉ. सिंह का कहना है कि वो बॉयो मेडिकल शोध व शिक्षा के लिए अपनी कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास कर रहे हैैं। उन्होंने कहा कि वो प्राकृतिक विज्ञान संकाय के लिए आंतरिक व बाहरी शोध के लिए प्रयोगशाला के नए उपकरण खरीदने का कार्य करेंगे।
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में स्चूयूलिन चेयर नामी वैज्ञानिक रॉबर्ट जे स्चूयूलिन के नाम पर शुरू की गई थी, जिनका 2011 में 91 साल की उम्र में निधन हुआ था, जिन्होंने जीव विज्ञान संकाय व अनुसंधान में बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
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