एमबीएम न्यूज़ /सुंदरनगर
तीन दिवसीय प्रवास के आखिरी दिन अपने प्रवचन में सुधांशू महाराज ने कहा कि हमे भीड़ के पीछे नही भागना है बल्कि भीड़ को अपने पीछे लगाना है। उन्होंने कहा कि हमारे बीच वह विशेषता होनी चाहिए कि हम अपनी कला से दूसरों को प्रभावित करें। उन्होंने उदाहरण दिया कि सड़क के किनारे एक चाय बनाने वाले के सामने अधिक भीड़ जमा होती है। जबकि एक होटल के सामने लोगों को आकर्षित करने के लिए कई विज्ञापन लगाए होते हैं। परन्तु लोग वहीं रुकेंगे जहां उन्हें अधिक संतुष्टि प्राप्त हो। सुधांशू महाराज ने कहा कि हम अपने मे वह विशेषता पैदा करें कि लोग आपके पीछे भागें। उन्होंने आज भी योगा के विषय मे लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
हजारों लोगों के साथ-साथ योगा की प्रक्रिया में खुद भी भाग लिया। उन्होंने डर के प्रभाव के विषय मे बात कही कि डर एक मन का वहम होता है जिसको दिल मे जगह नही देनी चाहिए। क्योंकि जो डर गए समझो वह मर गए। मनुष्य को मन की शक्ति के साथ वीरता के साथ समस्या के साथ लड़ना चाहिए और अपनी मन की शक्ति से अपने डर को हराना चाहिए।
ईश्वर के पास सभी दुखों का इलाज है। हमे उस परम पिता से सच्चे दिल से प्रार्थना करनी है कि वह हमारे दुःखों का निवारण करे। उन्होंने जन मानस को ईश्वरीय शक्ति से परिचित कराया। भक्ति को विशेष स्थान देते हुए जिंदगी जीने के कई प्रवचनों द्वारा अवगत कराए ताकि जिंदगी को और सुखमय बनाया जा सके।
हमे दूसरों की तरक्की से जलन नहीं होनी चाहिए। परन्तु उससे प्रेरणा लेकर खुद की राह को भी सुखमय करना है। उन्होंने कहा कि कृपा तभी मिलेगी जब आप शांत रहेंगे। इसलिए सब से पहले हमें अपने दिल को शांत करना है जिसके लिए हम आज से संकल्प ले और अपने मन को शांत करें।
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