एमबीएम न्यूज/शिमला
क्या आप जानते हैं, हिन्दुस्तान-तिब्बत मार्ग पर आखिरी ढाबा कहां हैं। अगर नहीं, तो चलिए बताते हैं। किन्नौर के छितकुल में ओम प्रकाश नेगी का ढाबा है, जिसे हिन्दुस्तान का आखिरी ढाबा भी कहा जाता है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क की जब ओम प्रकाश नेगी से सीधी बात फोन पर हुई तो कई रोचक बातें सामने आई।
दरअसल पेशे से ओम प्रकाश नेगी एक ट्रक चालक भी रहे हैं, जिन्हें 1999 में छितकुल के पंचायत घर के समीप ढाबा खोलने का ख्याल आया। इसे चलाने के लिए किराए पर दे दिया गया, लेकिन जब गुणवत्ता से समझौता होने लगा तो करीब एक साल पहले ओम प्रकाश नेगी ने अपनी पत्नी सूरज देवी के साथ खुद ही बागडोर संभाल ली। साल में करीबन 8 महीने रोजाना लगभग 10 से 12 घंटे सेवाएं देते हैं। पत्नी के ऑपरेशन के कारण नेगी को कुछ समय परेशानी भी रही, लेकिन ढाबे को लगातार संचालित करते रहे।
अब तक ओम प्रकाश नेगी के इस ढाबे में फिल्मी चेहरों के अलावा कई आईपीएस व आईएएस अधिकारी भी आ चुके हैं। खास बात यह है कि स्वभाव से साधारण नेगी सबके साथ सामान्य व्यवहार रखते हैं। यह नहीं कि कोई वीवीआईपी आया है तो उसकी खातिरदारी में अपने आम ग्राहकों से कोई भेदभाव करेंगे। खुद नेगी ने अपने बारे में जुड़ी बातों को साझा करते हुए कहा कि दो बेटियों की शादी कर चुके हैं, अब दो बेटों की शादियां बाकी हैं।
सनद रहे कि छितकुल में 5 से 7 फुट बर्फ पड़ती है। इस जगह से 40 किलोमीटर आगे तिब्बत का बॉर्डर शुरू हो जाता है, जहां से आगे सेना नहीं जाने देती।
ढाबे में क्या है खास..
हिन्दुस्तान के आखिरी ढाबे के नाम से मशहूर छितकुल में नेगी दंपत्ति के हाथों से बने कढ़ी-चावल, राजमाह, मैगी व कॉफी व चाय का अपना ही जायका है। इसके अलावा मांसाहारी व्यंजन भी ग्राहकों की डिमांड के अनुसार परोसते हैं। बेशक ही मैदानी इलाकों में लू चल रही हो, लेकिन नेगी दंपत्ति के ढाबे में अब भी कड़ाके की ठंड है।