नाहन (शैलेंद्र कालरा): ट्राइबल क्षेत्र में कोई भी अधिकारी-कर्मचारी केवल अपना कार्यकाल ही पूरा करना चाहता है। लेकिन कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी कोई अधिकारी समाज के प्रति अपना दायित्व समझते हुए ट्रांसफर न करवाना चाहे तो मिसाल तो बनती है। यहां बात की जा रही है सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल के रहने वाले डॉ. जितेंद्र कंवर की, जो इस समय ट्राइबल उपमंडल में सबसे लंबे समय तक बतौर एसडीएम सेवा देेने वाले एचएएस अधिकारी बन गए हैं।
खैरी के समीप भलग स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद नौणी विश्वविद्यालय से बॉयो टैक्नोलॉजी में पीएचडी पढ़ाई पूरी कर चुके 37 वर्षीय डॉ. जितेंद्र कंवर अविवाहित हैं। खुद डॉ. कंवर मानते हैं कि पूरा समय समाज की सेवा में ही लगता है।
एमबीएम न्यूज इस तरह के अधिकारियों को इस वजह से भी ढूंढने की कोशिश करता है, ताकि समाज में अन्यों को भी प्रेरणा मिले। उपलब्धियों के बारे में जब दूरभाष पर एमबीएम न्यूज ने बात की तो यकीन मानिए, उपलब्धियों की इतनी लंबी फेहरिस्त थी कि पौने घंटे तक बात खत्म नहीं हुई। पाठकों से डॉ. जितेंद्र कंवर की कुछ मुख्य-मुख्य उपलब्धियां ही सांझा की जा रही हैं।
घर से 600 किलोमीटर की दूरी पर सेवाएं दे रहे डॉ. कंवर को मल्टीपल तरीके से कार्य करने का जुनून है, जिसकी कसौटी पर सौ फीसदी खरा उतर रहे हैं। घर पर मां चंद्रकला अपने बेटे पर गौरव महसूस करती हैं । पिता स्व. राय सिंह कंवर का देहांत हो चुका है।
यह हैं उपलब्धियां बेमिसाल
- 27 अगस्त 2012 को जब बतौर एसडीएम भरमौर कार्यभार संभाला तो उस समय मणिमहेश यात्रा की आमदनी 50 हजार रुपए के आसपास थी, जो इस साल बढक़र एक से डेढ़ करोड़ के बीच पहुंची है।
- 2007 में हालांकि मणिमहेश ट्रस्ट की नींव पड़ गई थी, लेकिन साहब ने दिन-रात मेहनत की। 471 पन्नों का प्रस्ताव बनाकर सरकार के समक्ष रखा। 7 मंदिर इसमें शामिल किए गए। 26 जून 2015 को मणिमहेश ट्रस्ट गठित हो गया।
- 2012 में जब कार्यभार संभाला था तो भरमौर उपमंडल में 10,300 घरों में से 50 प्रतिशत में शौचालय नहीं थे। 133 सीआरपीसी कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा। अब केवल 50 घरों में शौचालय नहीं हैं, यानि स्वच्छ भारत अभियान में अविश्वसनीय योगदान दे डाला है।
- हाल ही में यह बात मीडिया की सुर्खियां बनी कि बीपीएल परिवारों को घर के बाहर तख्तियां टांगनी होंगी। इस उपमंडल में अपात्र बीपीएल परिवारों को बाहर करने के जो कदम उठाए गए, उसकी गूंज विधानसभा तक भी पहुंची थी। भरमौर उपमंडल ही बीपीएल सूची को लेकर पूरे प्रदेश में मिसाल बना। करीब 1200 अपात्र परिवार सूची से बाहर किए गए। यहां तक की कोर्ट में भी आदेश जारी हुए।
- पांचवी मणिमहेश यात्रा चल रही है। इसका बखूबी संचालन करने का अनुभव एसडीएम डॉ. जितेंद्र कंवर हासिल कर चुके हैं। श्रद्धालुओं को ट्रस्ट अपने ही स्तर पर खूब सुविधाएं उपलब्ध करवाने की कोशिश करता है।
- स्वच्छता अभियान में बेहतरीन कार्य करने के लिए राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं।
- गौ वंश पंजीकरण में भरमौर उपमंडल ने 99 प्रतिशत सफलता हासिल कर ली है। यह तो तय है कि ट्राइबल क्षेत्र में ऐसा करने वाला यह पहला उपमंडल होगा, लेकिन संभावना इस बात की भी है कि समूचे प्रदेश में 99 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने वाला भरमौर पहला उपमंडल हो।
- खच्चरों की इलैक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यहां 790 खच्चरें लोगों की रोजी-रोटी का भी सहारा है।
- केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी भरमौर उपमंडल काफी ऊपर पहुंच चुका है।
एसडीएम बनने से पहले की उपलब्धियां
डॉ. जितेंद्र कंवर का चयन एचएएस एलाइड में 2009 में हुआ। इसके बाद डीएफएससी शिमला के पद पर तैनाती मिली। यहां भी डॉ. कंवर ने खाद्य आपूर्ति की वस्तुओं के आबंटन को लेकर सख्त कदम उठाए। औसतन दिन में 200 से 250 चालान भी कर दिया करते थे। 2010 में एचएएस में इंडक्शन हो गई। ट्रेनिंग व प्रोबेशन पीरियड पूरा करने के बाद दूसरी तैनाती भरमौर में बतौर एसडीएम मिली। इससे पहले कुछ महीने धर्मशाला में भी तैनात रहे।