नाहन (एमबीएम न्यूज) : सराहां विकास खंड के सिरमौरी मंदिर पंचायत के एक प्रगतिशील युवा धर्म सिंह पुंडीर ने सिद्ध कर दिया है कि मिटटी से सोना कैसे पैदा किया जा सकता है। धर्म सिंह पुंडीर सिरमौरी मंदिर पंचायत के लिए किसी अन्ना हजारे से कम नहीं है। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण से अपने गांव के लोगों को नकदी फसलों के उत्पादन और डायरी फार्मिग के लिए प्रेरित किया। दुग्ध और सब्जी उत्पादन ने इस गांव के लोगों की तकदीर बदल दी है।
वर्ष 2014 में चनयाणा पकेवड़ी गांव में जिला परिषद के बजट से 2.75 लाख रुपये की लागत से वर्ष जल संग्रहण की एक छोटी परियोजना का निर्माण किया गया था। वर्षा के जल को रोकने के लिए गांव में एक बड़ा जलाशय (डैम) बनाया। इस निर्माण के बाद तो जैसे इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत ही बदल गई। पहले यद्यपि अज्ञानतावश वर्षा जल संग्रहण परियोजना की सफलता के बारे में लोगों में कई शंकाए भी थी।
वास्तव में गांव वालो को धर्म सिंह की इस परियोजना पर ज्यादा भरोसा नहीं था। गांव वाले कहते थे यह बुजुर्गों के समय की जोहड़ी है इसे बर्बाद मत करो। किन्तु धर्मसिंह ने किसी तरह खंड विकास अधिकारी को इस योजना के लिए मनाया। आज गांव के 12-15 परिवारों के लोग इस जलाशय के पानी का इस्तेमाल कर अपने खेतों को सींच रहे हैं। जल संग्रहण से गांव के हरियाली आने के साथ ही खेतों में गैर मौसमी सब्जियां जिसमें टमाटर, शिमला मिर्च, अदरक, गोभी, मूली, धनिया, पालक साग आदि की फसलें लहला उठी।
कृषि के लिए प्रतिकूल माने जाने वाली लाल मिट्टी क्षेत्र होने बावजूद, वर्षा जल संग्रहण के बाद इस क्षेत्र में लहलाती फसलें उस पुरानी कहावत को सही सिद्ध करती हैं जिसमें कहा गया है ‘‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, नखिद है चाकरी कह गया संसार।’’ गांव में पहली बार आरम्भ हुई लहसून की खेती से गांव वालों ने करीब पांच लाख रुपये मूल्य का लहसून उगाया। एक परिवार ने अपने छोटे से खेत में करीब 14 हजार रुपये का हरा धनिया पैदा किया।
पुंडीर कहते हैं कि गऊ पालन से शुरू हुआ उनका कार्य आज काफी आगे बढ़ चुका है। गाय के गोबर का इस्तेमाल वे गोबर गैस प्लांट के लिए करते हैं अैर गैस प्लांट के वेस्ट से उन्होंने कंेचुआ खाद किया है।
धर्म सिंह पुंडीर को अन्ना हजारे के रालेगन सिद्धि में चल रही वर्ष जल संग्रहण परियोजनाओं ने अत्यंत प्रभावित किया। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व ही रालेगन सिद्धि जाकर वर्षा जल संग्रहण को करीबी से देखा। पुंडीर के अनुसार यदि रालेगन सिद्धि की तर्ज पर हमारे सूखाग्रस्त क्षेत्र के लोग भी कार्य आरम्भ करें तो क्षेत्र में हरियाली के साथ सुख और समृद्धि आ सकती है। उन्होंने राजस्थान का दौरा भी किया है और देखा कि इस मरू भूमि में वर्षा जल संग्रहण से खुशहाली आई है।
धर्म सिंह पुंडीर ने एक और नया प्रयोग किया है। उन्होंने बंदरों की रोकथाम के लिए गेंदे का फूल लगाना शुरू किया है। पुंडीर कहते हैं- ‘‘यह प्रयोग एकदम सही रहा। अब बंदर उनके खेत के आसपास भी नहीं फटकते हैं। गेंदे के फूल से बंदरों को एलर्जी होती है, इस लिए बंदर खेत से दूर रहते हैं। उनका प्रथम प्रयास आर्थिक रूप से भी लाभप्रद रहा। मैं इस सीजन में अभी तक करीब पांच किवंटल गेंदे का फूल बेच चुका हूं।’’
धर्म सिंह कृषि के साथ अपने क्षेत्र में डायरी फार्मिग को भी बढ़ावा देना चाहते हैं। एक छोटी सी सोसायटी के माध्यम से वे अभी 500 लिटर दूध का कार्य कर रहे हैं। 250 लिटर दूध सोलन में, 100 लिटर दूध सहारां में विक्रय किया जाता है, बाकी दूध देसी घी व देसी पनीर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उनका प्रयास इस परियोजना को 5000 लिटर तक पहुुंचाने का है। इसके लिए वे अपने गांव में एक करोड़ रुपये की लागत से पाश्च्युराईजेशन प्लांट लगाने की ओर अग्रसर हैं। निश्चित तौर पर यदि यह परियोजना सफल हुई तो पूरे क्षेत्र के लोग खुशहाल होंगे क्षेत्र में दुग्ध क्रांति आएगी।