सुंदरनगर, 9 जुलाई : उपमंड़ल के डैहर सतलुज नदी में “जाको राखे साइयाँ मार सके न कोई “कहावत तब सच हुई जब ईश्वर की कृपा पाते हुए एक नौजवान युवक को जीवनदान मिल गया और युवक सकुशल अपने घर चला गया।
जानकारी के अनुसार प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दोपहर के करीब जब एनटीपीसी कोलडैम से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया तो युवक डैहर के अलसू गांव के पास निर्माणाधीन फोरलेन पुल के पास निर्माण कंपनी द्वारा बनाए गए पत्थरों के टापू पर पानी के तेज बहाव के साथ सलापड़ के पास से बहकर आ रहा था और ईश्वर की कृपा से युवक टापू के पत्थरों पर जा फंसा। जिसके बाद प्रत्यक्षदर्शियों ने सीटियां बजाते हर युवक को टापू पर ही बने रहने की आवाज लगाई।
बताया जा राह है कि एनटीपीसी कोलडैम से पानी छोड़े जाने से आधा घंटा पूर्व क्षेत्र में स्थापित दो से तीन हुटरों से लोगों को पानी छोड़े जाने की चेतावनी दी जाती है,, लेकिन बावजूद इसके युवक सतलुज नदी के तेज बहाव में सलापड़ की ओर से बहकर कैसे आ गया यह एक सोचने का विषय है। टापू पर सकुशल पहुंचने के बाद युवक ने पानी का वेग कम होने तक पत्थरों पर बैठकर इंतजार किया और बाद में निर्माण कंपनी की मशीन द्वारा उसे टापू से बाहर निकाला गया और वह किसी से बिना बात किए वहाँ से भाग गया। जिससे उसकी पहचान का कोई अता पता नहीं चल पाया है।
यह सोचने का विषय है कि युवक किस हालात व किस स्थिति में सतलुज में गिरा था या फिर आत्महत्या करने का प्रयास था यह प्रश्न सभी के मन मे है। सतलुज नदी के भयंकर तेज पानी में युवक कैसे सुरक्षित मौत के मुंह से बचकर टापू पर पहुंचा इसे प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा ईश्वर की कृपा मानते हुए कहावत कही जा रही है कि “जाको राखे साइयाँ मार सके न कोई”।
बहरहाल इस पूरे मामले को लेकर न तो प्रत्यक्षदर्शियों के पास कोई युवक की कोई पहचान है और न ही पुलिस व प्रशासन तक इसकी कोई खबर पहुंची है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सतलुज के रौद्र रूप के तेज बहाव में युवक फूल की तरह पानी के ऊपर था अलसू गांव के पास सतलुज में पत्थरों के टापू पर जीवनदान मिलने के बाद काफी देर तक युवक ने धैर्य रखा गया।