एमबीएम न्यूज़/ नाहन
चूड़धार चोटी से श्रुति को लापता हुए सोमवार को तीन सप्ताह पूरे हो गए हैं। 21 दिन बीत जाने के बाद भी मासूम बच्ची का कोई सुराग नहीं मिल रहा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिरमौर पुलिस ने नन्ही श्रुति को तलाश करने में एड़ी चोटी का जोर लगाया। लेकिन सवाल अब यह भी उठ रहा है कि इस मामले को सीबीआई को सौंप देना चाहिए या नहीं , क्योंकि हिमाचल पुलिस के पास सीमित संसाधन ही है। अब तक राज्य सरकार ने श्रुति को तलाश करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
प्रश्न इस बात पर भी उठ रहा है कि ऐसा क्या हुआ कि हजारों लोगों की कोशिश पर भी श्रुति का कोई सुराग नहीं लग पाया। गौरतलब है कि जिस जगह से श्रुति लापता हुई है उस घटनास्थल तक पहुंचने के लिए नौहराधार बेस कैंप से करीब 12 से 14 किलोमीटर की चढ़ाई पैदल ही चलनी पड़ती है।
जानकार बताते हैं कि सीएम जयराम ठाकुर ने अधिकारियों से तो एक-दो मर्तबा श्रुति को लेकर फीडबैक लिया है। लेकिन सार्वजनिक तौर पर ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिसमें बताया हो कि श्रुति की तलाश करने में सरकार क्या कदम उठा रही है। उधर अब धीरे-धीरे श्रुति का मामला मीडिया में भी भुलाया जाने लगा है। परिवार की आंखें बच्ची की राह में पथरा चुकी हैं। हालांकि उम्मीद परिवार ने नहीं छोड़ी है। लेकिन आशंका यह भी जाहिर किया जा रही है कि नन्ही सी जान कैसे घर लौटेगी।
कुल मिलाकर सवाल यही है कि श्रुति का मामला सीबीआई को क्यों न सौंपा जाए। पूरे प्रदेश में संभवत: यह अपनी तरह का ही एक उदाहरण था, जब एक जन सैलाब, जिसमें करीब 40 गांवों के आस-पास के लोग शामिल हुए। सब जंगलों में श्रुति को तलाशने निकल पड़े थे। सोशल मीडिया में श्रुति हजारों लोगों की आंखों का तारा बन चुकी है। हर कोई श्रुति के सलामत होने की दुआएं अब भी मांग रहा है।
कोटखाई की गुड़िया को न्याय दिलवाने के लिए जन सैलाब सड़को पर उतरा था। यहाँ घर से रोटी बांधकर हजारो लोग बच्ची की तलाश में जंगलो की खाक छानते रहे। नजरे इस बात पर भी टिकी हुई है कि क्या गुड़िया की घटना की तरह ही लोगो को सड़को पर उतर कर श्रुति की तलाश के लिए सरकार पर दबाव बनाना पड़ेगा।
कैसे हुई थी लापता?
2 जुलाई को श्रुति अपने माता-पिता के साथ चूड़धार चोटी पर शीश नवाजने के बाद वापस लौट रही थी। तीसरी में माता-पिता से टॉफी खाने की जिद की। पिता ने 10 रुपए दे दिए। चंद मीटर की दूरी पर ढाबे से टॉफियां लेने के बाद श्रुति आंखों के सामने से ही ऐसी ओझल हुई, जिसका पता आज तक नहीं लग पाया है। पहले कुछ दिन तक तो चूड़ेश्वर सेवा समिति के सदस्य जंगलों में बच्ची की तलाश करते रहे। कोई सफलता नहीं मिली तो नौहराधार पुलिस के आग्रह पर दर्जनों गांवों के लोग श्रुति की तलाश के लिए जंगलों में सर्च अभियान चलाने के लिए राजी हो गए।
डीएसपी से एसपी स्तर के अधिकारियों ने घटनास्थल का जायजा लिया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। थक हारकर पिछले सप्ताह श्रुति का पिता शिरगुल देवता की जन्मस्थली शाया भी पहुंचा था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रदेश की पुलिस के पास संसाधन नहीं है। गौर किया जाए तो खोजी कुत्ता भी तीसरे दिन घटनास्थल पर पहुंचा था। ऐसे में कुत्ता भी पुलिस के लिए मददगार नहीं बन सका। निश्चित तौर पर घटना के कुछ समय बाद ही खोजी कुत्ता पहुंचता तो शायद श्रुति का सुराग चंद रोज में ही मिल जाता।
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