कविता
अबकी बार लड़ाई हो ही जाए तो बेहतर है
फैसला आर-पार का हो ही जाए तो बेहतर है
न रहे सीमित बात, भाषण-आश्वासन तक ही
मुराद युद्ध की अब हो जाए पूरी तो बेहतर है
फैंकना चाहो तो शौंक से फैंकना परमाणु बम
जो जीत है जीवन उससे तो मौत बेहतर है
करेगा वादे नए-नए पाकिस्तान रहना खबरदार
न आना तुम चालों में उसकी अब तो बेहतर है
अखबारों में भी गरजे, बातों के युद्ध भी लड़ लिए
हो जाए जंग अब रणभूमि में भी तो बेहतर है
सुनो, जनता भी तैयार है फौजें भी तैयार है
हो जाए नेताओंं की भी अब हां तो बेहतर है।
पंकज तन्हा