कुल्लू (एमबीएम न्यूज़) : कान्हा का जन्म और उनकी आने की खुशी में आज भी लोग उसी आंनद में झूमते है जैसे 5243 वर्ष पहले झूमें थे जब भगवान विष्णु ने अपने कृष्ण अवतार में धरती पर जन्म लिया था। 16 कलाओं से पूर्ण नंदलाल का जन्म आज रात कुल्लू की धरती पर मनाया जाएगा। दोपहर के करिब उनकी पालकी सरवरी से होते हुए प्रदर्शनी मैदान पंहुचेगी, जहां उनकी आने की खुशी में सैकडों युवा व भक्त आनंद की मस्ती में झूमेंगे।
इस दौरान माता योगमाया कृष्णा की बहन, गौ माता और मेहमान देवता घटोत्कच इस उत्सव में रहेंगे। भजन संध्या के साथ सांय 7 बजे पहला दर्शन व आरती होगी। ठीक 8 बजे रात्रि कान्हा का सतनाजे के पिंड में गर्भधारण होगा। आग, वायु, पानी, जल, आकाश इन 5 तत्वों से कान्हा करीब 4 घंटों तक मुक्त रहेगे। रात्रि 12 बजे पानी की जलधारा के साथ धीरे-धीरे सतनाजे के पिंड से बालरूर्पी कृष्णा की मूर्ति प्रकट होगी। सप्त स्नान, हार श्रंगार के बाद 12ः30 बजे कृष्णा को झूले में बिठाया जाएगा और महा आरती के साथ उनको झूले में झूलाया जाएगा।
राखी के दिन 108 फुट लम्बी राखी पीपल को बांधी गई थी, उसी राखी से झूले की डोर बनाई जाती है। 26 अगस्त को इसी खुशी में आंनद उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें डीजे की धुन पर कृष्ण सखा नाचेंगे, साथ ही कृष्ण द्वारा दही हांडी फोडी जाएगी।
इसके आयोजक व उमंग कृष्णा उत्सव के संस्थापक ललित ने जानकारी दी कि यह उत्सव आनंद प्रेम भाईचारे का है क्योंकि भगवान ने भी कृष्ण अवतार लेकर धरती पर सभी रिश्तों को निभाया है दुनिया को सत्य,धर्म, प्रेम, मित्रता, गुरू का ज्ञान दिया है ।