शिमला (शैलेंद्र कालरा): स्पोर्टस के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार “अर्जुन अवार्ड” से हिमाचली बेटी अपूर्वी चंदेला नवाजी जाएंगी। 29 अगस्त को 22 वर्ष की उम्र में बेटी यह अवार्ड हासिल करेगी। ओलम्पिक से लौटते ही अपूर्वी को यह गुड न्यूज मिली है, जिनका संबंध बिलासपुर के राजघराने से है। साथ ही सिरमौर से गहरा रिश्ता है। अपूर्वी को अर्जुन अवार्ड मिलने की खबर सोमवार शाम को मिली थी, जो खुद इस वक्त हांगकांग में है।
रियो ओलम्पिक्स में अपनी उम्मीद के मुताबिक अपूर्वी प्रदर्शन नहीं कर सकी, लेकिन इसका अनुभव लिया है। ताकि 2020 के टोकियो ओलम्पिक्स में अचूक निशाना साध कर देश के लिए पदक जीता जा सके। अर्जुन अवार्ड के चयन का आधार अपूर्वी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां रही हैं। इसमें मुख्य तौर पर 2014 के कॉमनवेल्थ गेम में स्वर्ण पदक शामिल हैं।
साथ ही 2015 के आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में रजत व कांस्य पदक हैं। इन तीन पदकों के बूते ही हिमाचली बेटी अर्जुन अवार्ड लेने जा रही है। सनद रहे कि अपूर्वी का परिवार राजस्थान के जयपुर व उदयपुर में सैटल है। लेकिन साल में एक या दो मर्तबा अपनी कुलदेवी को पूजने बिलासपुर आता है। दीगर है कि शूटिंग के क्षेत्र में हिमाचली समरेश जंंग व विजय कुमार भी अर्जुन पुरस्कार जीत चुके हैं।
निराश नहीं है परिवार
अपूर्वी के पिता कंवर कुलदीप ने एमबीएम न्यूज से बातचीत में कहा कि ओलम्पिक में अपूर्वी के प्रदर्शन को लेकर कोई भी निराशा नहीं है, क्योंकि अल्टीमेट गोल 2020 के टोकियो ओलम्पिक्स हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल से परिवार का गहरा रिश्ता है, क्योंकि रूटस वहीं पर हैं। उन्होंने कहा कि पूरा परिवार अपूर्वी पर गर्व महसूस करता है। उन्होंने कहा कि रियो ओलम्पिक अपूर्वी के लिए एक बड़ा अनुभव है।
क्या संबंध है अपूर्वी का सिरमौर से?
अपूर्वी के पिता की पडदादी का मायका सिरमौर ही था। सिरमौर रियासत के शासक फतेह प्रकाश की बहन का विवाह बिलासपुर राजघराने में हुआ था। बाद में बिलासपुर के शासक खडग़ सिंह के वध के बाद राजपरिवार सिरमौर रियासत के तहत नाहन खंड के चाकली के सादड गांव में भी आकर रहा था।
हिमफैड अध्यक्ष व राजपरिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह का कहना है कि दोनों ही परिवारों के घनिष्ठ संबंध हैं। उन्होंने कहा कि बिलासपुर के शासक के वध के बाद तत्कालीन शासक राजा फतेह प्रकाश ने अपनी बहन के ससुराल के सदस्यों को कुछ समय नैनाटिक्कर के समीप रहने की जगह दी थी। इसके बाद परिवार चाकली के समीप सादड में शिफ्ट हुआ था।