मंडी (वी. कुमार) : हर वर्ष देश भर में 66 हजार बच्चे जन्म लेने के बाद अकाल मृत्यु का शिकार हो रहे हैं और इन बच्चों की बढ़ती मृत्यु दर को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रहे हैं। सरकारों के प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब ग्रास रूट पर सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को पहुंचाया जायेगा। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के स्टेट ट्रेनर एनआर ठाकुर ने मंडी में जारी 14 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान दी। बता दें कि इन दिनों जोनल हास्पिटल मंडी में 14 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जिला के सभी दस स्वास्थ्य खंडों से आये अधिकारी व कर्मचारी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण ले रहे लोगों को बतौर ट्रेनर तैयार किया जा रहा है ताकि यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद वह अपने खंड में तैनात आशा वर्करों को प्रशिक्षित कर सकें।
शिविर में प्रशिक्षण देने के लिए आये स्टेट ट्रेनर एनआर ठाकुर ने बताया कि आज केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी ज्यादा कार्य किया जा रहा है और ग्रामीण स्तर के लोगों को अभी भी सरकारी योजनाओं के बारे में अधिकतर जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि जब तक लोगों को उन्हें दी जा रही सुविधाओं के बारे में पता नहीं होगा तब तक वह इसके लाभ से वंचित ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि हर गांव में स्वास्थ्य विभाग ने आशा वर्कर को तैनात किया है और आशा वर्करों के माध्यम से ही ग्रामीणों तक विभागीय योजनाओं की जानकारी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। एनआर ठाकुर ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में आये हुए सभी लोग अपने खंड में जाकर आशा वर्करों को प्रशिक्षण देंगे। आशा वर्करों के माध्यम से ग्रामीण स्तर के लोगों तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा कि उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं का वह किस प्रकार से लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान सभी योजनाओं पर फोकस किया जा रहा है। लेकिन गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों की देखरेख पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। ठाकुर ने बताया कि देश में हर वर्ष 30 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं जिनमें से 27 लाख महिलाओं की ही सही ढंग से डिलीवरी हो पाती है जबकि 3 लाख महिलाओं की डिलीवरी में काफी ज्यादा काम्पलिकेशन आती हैं। अगर नवजात बच्चों की बात करें तो देश में हर वर्ष 66 हजार नवजात अकाल मृत्यु का शिकार बनते हैं। और यह सब जानकारियों के अभाव के कारण हो रहा है, क्योंकि सरकार की योजनाएं और सुविधाएं इन बच्चों तक जानकारी के अभाव के कारण पहुंच नहीं पा रही हैं। उन्होंने बताया कि आशा वर्करों को उनके सभी कार्यों में निपुण बनाने की कोशिश की जा रही है।