दिल्ली, 14 अप्रैल : जम्मू-कश्मीर की सबसे हॉट सीट अनंतनाग-राजौरी में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए नाक का सवाल बनी सीट पर रोचक घमासान होने की उम्मीद है। धारा 370 हटने के बाद बदले समीकरणों में डी-लिमिटेशन के बाद यहां चुनाव हो रहा है। जिस सीट को पीडीपी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती का गढ़ माना जाता है वहां मुकाबला इस दफा तिकोना होने की उम्मीद है। यहां से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिया अल्ताफ अहमद को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री रहे दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद अपनी पार्टी डीपीएपी से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। भाजपा ने यहां किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारा है। क्योंकि भाजपा जम्मू रीजन की तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
अनंतनाग सीट पर मेहबूबा मुफ्ती ने 2009 व 2014 में चुनाव जीता है। पिछली दफा 2019 वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के मिया अल्ताफ अहमद से चुनाव हार गई थी। डी-लिमिटेशन के बाद अनंतनाग के साथ राजौरी जिला की कुछ विधानसभा सीटें अनंतनाग में शामिल हुई हैं। इस क्षेत्र में गुज्जर व बकरवाल समुदाय को एसटी का दर्जा दिया जाने से इस समुदाय के लोग भाजपा के समर्थक बन गए हैं। वहीं कश्मीरियों में इस आरक्षण को दिए जाने को लेकर भारी रोष है। दक्षिण कश्मीर में स्थित अनंतनाग जिले में शुरू से ही मेहबूबा मुफ्ती का जनाधार काफी मजबूत रहा है। वह बिजबेहड़ा कस्बे की रहने वाली हैं।
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इस बार वह चुनाव में बुरी तरह से फस गई हैं। क्योंकि इससे पहले वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की चुनौती से ही जूझती रही हैं। मगर इस बार गुलाम नबी आजाद के मैदान में उतरने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुलाम नबी आजाद को अंदरूनी तौर से भाजपा का रणनीतिपूर्वक समर्थन मिल रहा है। उन्हें गुज्जर व बकरवाल समुदाय का पूर्ण समर्थन मिल सकता है। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार मिया अल्ताफ अहमद के साथ एंटी इनकंबेंसी जुड़ी हुई है। फ़िलहाल मुकाबला तिकोना है। ये लोकसभा चुनाव गुलाम नबी आजाद और मेहबूबा मुफ्ती के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा।
@A1