मंडी (एमबीएम न्यूज़): ईएसआईसी मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल नेरचैक शुरू न करवाने पर मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सीधा निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वे जान बूझकर इस मामले को अगले चुनाव तक लटकाना चाहते हैं।
इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा व श्रम मंत्री बंडारू दतात्रय से मिलकर मामला उठाया है और कहा है कि छः माह से ईएसआईसी मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल नेरचैक बनकर तैयार हो चुका है, जिस पर भारत सरकार ने लगभग आठ सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं और राजनीतिक फायदे के लिए गत्त लोकसभा चुनावों की घोषणा के दिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आनन-फानन में इसका उद्घाटन तक कर डाला था, लेकिन आज दो वर्ष बीत जाने पर भी इसे शुरू नहीं करवाया। अब प्रदेश सरकार इसे चलाने में आनाकानी कर रही है और जानबूझकर इसे विधानसभा चुनावों तक टालना चाह रही है।
सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा है कि वीरभद्र सिंह लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार और मंडी से अपनी धर्मपत्नी के हारने के बाद बौखला गए हैं और मंडी संसदीय क्षेत्र के साथ अब सौतेला व्यवहार कर रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा उदाहरण यही ईएसआईसी मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल है, जिसे चलाने को लेकर वे कभी केंद्र को कोस रहे हैं और कभी कह रहे हैं कि प्रदेश सरकार इसे स्वयं चलाएगी। हकीकत यह है कि वे नहीं चाहते कि इसे प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पूर्व चलाएं। सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा व श्रम मंत्री बंडारू दतात्रय से मिलकर उनका इस अस्पताल के लिए 280 करोड़ रुपए की राशि जारी करने पर आभार जताते हुए आग्रह किया कि इस ईएसआईसी मेडिकल कालेज एवं हास्पीटल को संचालित करने बारे दो टूक निर्णय प्रदेश हित में लिया जाए, ताकि छः जिलों के केंद्र में बने इस अस्पताल से करीब आधे हिमाचल की जनता को लाभ समय रहते मिल सके।
सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से मिलकर मामले को उठाते हुए प्रदेश सरकार की मंशा पर संदेह जताते हुए उन्हें अवगत कराया कि इस अस्पताल को सफेद हाथी बनने से बचा लिया जाए और दो सप्ताह पूर्व उनके द्वारा भेजी गई केंद्रीय श्रम मंत्रालय की टीम की रिपोर्ट के आधार पर अब इसे चलाने और क्लासें बैठाने पर तुरंत निर्णय लिया जाए। जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सांसद को आश्वासन दिया है कि जल्द इसके संचालन को लेकर निर्णय प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद लिया जाएगा।