नालागढ़(एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल में गैर कृषकों ने कृषक बनने का नायब नकुना ढुढ निकाला है, इस गौरख धंधे में राजस्व विभाग की कथित मिलीभगत भी संदेह के घेरे में है। यह अलग बात है कि सरकार की ईमानदारी से जाँच इस गोरखधंधे को बेपर्दा कर सकती है। नकुने में सबसे पहले गैर कृषक नगर परिषद के दायरे में जमीन खरीदता है, बाद में राजस्व विभाग की मिलीभगत से उसको नगर परिषद के एरिया से बाहर की भूमि के साथ अदला-बदली कर लेते है।
काबिले गौर है कि राजस्व विभाग के भू-सुधार अधिनियम-118 के अनुसार 1972 से पहले के रहने वाले हिमाचल निवासी नगर परिषद दायरे के भीतर भू-खण्ड खरीद सकते हैं, लेकिन शर्त है कि खरीददार इस पर कृषक की परिभाषा में नहीं आएगा। इसका बकायदा पंजीकरण ओैर इंतकाल तसदीक के समय नोट दिया जाता है, लेकिन कानून को ताक पर रखकर नालागढ़ में ऐसा खेल खेला जा रहा है। ऐसे ही एक मामले का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता योगेश शर्मा द्वारा किया गया है।
योगेश शर्मा ने तथ्य पेश करते हुए बताया कि नालागढ़ के वार्ड नम्बर-5 के रहने वाले गैर कृषक विजय कुमार जैन ने नगर परिषद दायरे में उप महाल नया नालागढ़ में 80 वर्ग मीटर का भू-खण्ड खरीदा, जिसका इन्तकाल तसदीक करते समय पंजीकरण अधिकारी ने बकायदा नोट दिया है। इस भूमि से विजय कुमार जैन कृषक की परिभाषा में नहीं आएगा।
विजय कुमार जैन ने राजस्व विभाग की मिलीभगत से उपरोक्त नगर परिषद वाले भू-खण्ड का नगर परिषद के बाहर पटवार सर्कल किरपालपुर में आने वाले मौजा गागुवाल में कृषक की परिभाषा में आने वाली भूमि के साथ तबादला कर लिया है, जिसका बकायदा पंजीकरण किया गया है, लेकिन तबादला पंजीकरण के साथ लगी फर्द पर पटवारी नालागढ़ ने गैर कृषक की कोई ऐसी टिप्पणी नहीं दी है।
इस संदर्भ में नालागढ़ तहसीलदार देवराज भाटिया से बताया कि गैर कृषक भूमि का तबादला कृषक भुमि के साथ नहीं हो सकता, अगर ऐसा हुआ है तो वह सरासर भू-सुधार अधिनियम-118 का उल्लंघन है, अगर ऐसा उनकी जानकारी मे आएगा तो इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
क्यों हर कोई चाहता है बनना कृषक…
दरसल गैर हिमाचली तय लिमिट में जमीन खरीद सकते हैं। अगर प्रदेश में 1972 के बाद सैटल हुए हैं तो 118 की अनुमति भी लाजमी है। शहरी क्षेत्र में ही जमीन खरीदी सकती है। अगर आप कृषक की परिभाषा में है तो कही पर भी मनमाफिक जमीन खरीदी जा सकती है। इसके लिए कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती। लिहाजा हर अमीर व रसूखदार व्यक्ति हिमाचल कृषक बनना चाहता है। कृषक बन कर जमीनों का धंधा भी चमकाया जा सकता है। इसका यह मतलब नहीं कि कृषक की परिभाषा में आ कर खेती करनी है।