नाहन, 17 अप्रैल : उत्तर भारत की प्रसिद्ध शक्तिपीठ त्रिलोकपुर की 25 वर्षीय बेटी निधि चौधरी ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की है। निधि को देश भर में 691वां रैंक हासिल हुआ है। चौथे प्रयास में कामयाबी हासिल की है। होनहार बेटी की सफलता तीन मायनों में अहम है। वो, हरियाणा के सीमांत इलाकों में गुर्जर समाज की पहली युवा है, जिसने देश की कठिनतम परीक्षा (Toughest test of Country) में सफलता पाई है।
इसके अलावा दो अन्य अहम बातें ये हैं कि निधि ने न तो कोचिंग ली, न ही तैयारी के साथ-साथ उच्च शिक्षा हासिल करने का प्रयास किया। चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पीजी काॅलेज से बाॅयो टैक्नोलाॅजी (bio technology) में बीएससी (B.Sc) की डिग्री मिलते ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। साथ ही ऐसा भी नहीं है कि निधि ने नामी निजी विद्यालयों में पढाई की हो।
अहम बात ये भी है कि सिरमौर से लंबे अरसे बाद किसी युवा ने यूपीएससी की परीक्षा को क्रैक किया है। पांवटा साहिब के निपुण जिंदल 2013 बैच के आईएएस (IAS) हैं। लिहाजा, सिरमौर के लिए ये बेहद ही गर्व के पल हैं कि यहां की बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा में समूचे प्रदेश का नाम देश भर में गौरवान्वित किया है।
पंचकुला के मानव मंगल स्कूल से दसवीं की पढ़ाई करने के बाद चंडीगढ़ के 16 सेक्टर स्थित राजकीय आदर्श विद्यालय से जमा दो की पढ़ाई पूरी की। चूंकि पिता धनीराम पंचकुला के समीप रामगढ़ में आईटीबीपी (ITBP) में कार्यरत रहे, लिहाजा निधि की सामान्य शिक्षा पंचकुला में ही हुई।
मूलतः माता बालासुंदरी त्रिलोकपुर के प्राचीन मंदिर के समीप की रहने वाली निधि को चार साल तक इस बात का भी अंदाजा नहीं रहा कि बाहर का मौसम कैसा है। एकाग्रता से पढ़ाई ही सर्वोपरि थी। उल्लेखनीय है कि निधि की माता जसविंदर कौर एक गृहिणी है। छोटा भाई शिवम भी यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहा है। पिता धनीराम इस समय आईटीबीपी में सहायक कमांडेंट (assistant commandant) के पद पर कार्यरत हैं।
विशेष बाचतीत…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से निधि चौधरीने लंबी बातचीत की। 1999 में जन्मीं निधि ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वालों को संदेश देते हुए ये भी कहा कि यदि आप ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं तो इसी दौरान ही विषयों पर फोकस कर लें, ताकि बाद में रिपीट करने की आवश्यकता न पडे़। बेसिक तौर पर एनसीईआरटी (NCERT) के पाठ्यक्रम की गहनता से पढ़ाई आवश्यक है।
निधि ने कहा कि काॅलेज की पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी की परीक्षा का मन बना लिया था। विषयों पर तब से ही फोकस करना शुरू कर दिया। हालांकि, पहले प्रयास में वैकल्पिक विषय के तौर पर जोयोलाॅजी (zoology) को ऑप्ट कर लिया था, लेकिन दूसरी कोशिश में बदलकर सोशलाॅजी (sociology) किया था। निधि ने कहा कि फिलहाल ये अंदाजा नहीं है कि आईएएस या आईपीएस मिलेगा या नहीं। संतोषजनक पद न मिलने पर वो बफर टाइम (buffer time) में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी दोबारा शुरू करेंगी।
उन्होंने कहा कि सेल्फ स्टडी ही मूल मंत्र था। समय रहते ही परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि मेन्स (Mains) की परीक्षा में दूसरी बार हिस्सा लिया था, लेकिन साक्षात्कार तक पहली बार पहुंची। उन्होंने सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया है।
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