घुमारवीं / सुभाष कुमार गौतम : आधुनिक समय में जहां लोग सिर्फ अपने आप तक सीमित रह गए है। लेकिन कुछ गोवंश की सेवा के प्रति अटूट विश्वास रखते हैं। शायद, आपने इस तरह की खबर पहले पढ़ी हो, जब गाय का पिंडदान करने परिवार ने सैंकड़ो किलोमीटर का सफर तय किया हो। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि मौजूदा व्यस्त होने की दुहाई देकर बुजुर्ग का पिंडदान करने से भी परहेज करते हैं।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जनपद के घुमारवीं उपमंडल के गांव लेठवीं में जगदीश शर्मा ने एक मिसाल पेश की है, जिसकी हर जगह तारीफ की जा रही है। पंडित जगदीश शर्मा के घर में पत्नी ने एक गाय पाल हुई थी, जिसके दूध से परिवार का भरण-पोषण होता था,लेकिन फरवरी में गाय बीमार हो गई। इसके बाद अचानक गाय का निधन हो गया। इससे जगदीश शर्मा का पूरा परिवार शोक में डूब गया।
जगदीश शर्मा ने बताया कि गाय को विधिवत रूप से दफनाया गया और पिंडदान किया गया। इतना ही नहीं कुछ दिनों बाद परिवार सहित मृत गाय का पिंडदान हरिद्वार में गंगा के तट पर हर की पौड़ी पर किया गया। जगदीश शर्मा ने बताया कि मुझे मृत गाय का क्लेम भी मिल सकता था, लेकिन हम नहीं चाहते थे कि गाय के शरीर के साथ किसी तरह की मेडिकल चीर फाड़ हो। बहरहाल परिवार उन मतलबी लोगो के लिए प्रेरणा है जो दूध देने में असमर्थ होने पर “गाय” माता को लावारिस छोड़ देते है। जगदीश शर्मा एक मिसाल बने है,समाज में इस तरह के गौ रक्षक को पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
जगदीश शर्मा ने बताया कि गाय को सड़कों में न छोड़े, बल्कि एक परिवार के सदस्य की तरह उसका भरण पोषण करें,अंतिम समय में उसका पिंड दान करें क्योंकि मनुष्य अंतिम समय में गौ दान करता है, लेकिन इससे अधिक पुण्य कार्य नहीं हो सकता है। उनका कहना है कि गोवंश की सेवा का फल इसी जन्म में मिलता है।