हमीरपुर, 29 मार्च : किसी ने सच ही कहा है कि राजनीति में कोई किसी का स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता। ऐसा वाक्या शुक्रवार को हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में देखने को मिला। भाजपा ने कांग्रेस के बागियों को टिकट देकर हिमाचल की राजनीति को एक दिलचस्प मोड पर लाकर खड़ा कर दिया है। आए दिन कोई न कोई नया घटनाक्रम राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा रहा है। शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस के बागी नेता व पूर्व विधायक राजिंदर राणा प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल से मिलने उनके आवास पहुंचे। सियासी गुरु-चेला धूमल व राणा वर्षों बाद एक-दूसरे से मिले। इस दौरान राजेंद्र राणा के साथ अन्य बागी विधायक भी मौजूद रहे। राजेंद्र राणा ने प्रेम कुमार धूमल के पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया। इससे जुड़ा वीडियो भी सामने आया है।
बता दें कि यह वहीं राजेंद्र राणा है जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में धूमल को पटखनी दी थी और धूमल मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे। आज वहीं राजेंद्र राणा भाजपा में शामिल हो गए है। वीडियो के आधार पर ये कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दोनों लोकलाज व राजनीतिक मजबूरियों के चलते एक दूसरे के गले मिले। मगर दिल से धूमल ने राणा को आशीर्वाद दिया या नहीं यह भविष्य के गर्व में छिपा है। पुराने गिले-शिकवे अब दूर होते दिख गए है। दोनों का लक्ष्य अब उपचुनाव में जीत हासिल करना होगा। राजेंद्र राणा कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें सुजानपुर से उपचुनाव के लिए अपना भाजपा प्रत्याशी भी बना लिया।
2017 में राणा ने भाजपा को दिए थे गहरे जख्म
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रेम कुमार धूमल को सीएम कैंडिडेट बनाया था। वहीं, कांग्रेस ने राजेंद्र राणा को टिकट दिया था। राणा ने 1919 के अंतर से जीत हासिल की थी और धूमल को मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़ी थी। दिलचस्प बात ये है कि राणा ने धूमल के सानिध्य में ही राजनीतिक पारी शुरू की, लेकिन गुरु-शिष्य के रिश्ते में ऐसी खटास पैदा हुई कि वो विधानसभा चुनाव में ही एक-दूसरे के सामने आ गए। वहीं राणा ने 2012 का विधानसभा चुनाव आजाद उम्मीदवार के तौर पर एकतरफा जीता था। कांग्रेस ने दिग्गज नेता अनीता वर्मा को मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने उर्मिल ठाकुर को टिकट दिया था। राणा अकेले ही 55.02 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब हो गए थे।
2022 में राणा में चुनाव हारते-हारते बाल-बाल बचे थे। मात्र 399 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी। ऐसे में कांग्रेस से बगावत करने के बाद राणा का भविष्य क्या होगा, इस पर कई तरह के क्यास लगाए जा रहे थे। लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट देकर सारी अटकलें दूर कर दी है। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठेगा।