सोलन से अमरप्रीत सिंह की रिपोर्ट
सोलन। हिमाचल प्रदेश के प्रगतिशील शहर सोलन के समीप विशाल लाल उड़ने वाली गिलहरी (giant red flying squirrel) साइट हुई है। फिलहाल साफ तौर पर तो नहीं कहा जा सकता कि ये गिलहरी की कौन सी प्रजाति है। अलबत्ता ये जरूर है कि उड़ने वाली गिलहरी की ‘नामदाफा’ (Namdafa) प्रजाति अवश्य ही दुर्लभ होती है, इसे 2021 में उत्तराखंड व अरुणाचल प्रदेश में लगभग 42 साल बाद साइट किया गया था।
सोलन में मिली उड़ने वाली प्रजाति ‘नामदाफा’ नहीं प्रतीत हो रही। अफसोसजनक बात ये है कि विशाल उड़ने वाली लाल गिलहरी को चोटिल अवस्था में पशुपालन विभाग उपचार देने में नाकामयाब रहा। ओल्ड बस स्टैंड (Old Bus Stand Solan) व चंबाघाट के बीच ये गिलहरी बिजली के खंभे से अचानक ही नीचे गिर गई थी। स्थानीय निवासी कमल कश्यप ने अपने स्तर पर उपचार उपलब्ध करवाने का भरसक प्रयास किया।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो करंट लगने की वजह से ये गिलहरी नीचे गिरी थी। चूंकि, ये ऊंचे बिजली के खंभे से गिरी थी, लिहाजा ये साफ है कि गिलहरी की ये प्रजाति भी उड़ सकती है। स्थानीय ग्रामीणों ने गिलहरी के गिरने के दौरान का एक 14 सैंकेंड का वीडियो भी बनाया। इसमें गिलहरी के पंख भी नजर आए।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने गिलहरी की तस्वीरें व वीडियो विशेषज्ञों को भेजा तो इस बात की तस्दीक तो हो गई कि ये उड़ने वाली विशाल लाल गिलहरी है। लेकिन आईयूसीएन (IUCN) की सूची में इस प्रजाति की स्थिति स्पष्ट होना शेष है।
ये घटनाक्रम….
बात, शनिवार की है। गिलहरी के नीचे गिरने के बाद इसे मानवता के नामे स्थानीय लोग कोटलानाला के पशु चिकित्सा केंद्र ले गए। गिलहरी के मुंह व टांग में चोटें लगी थी। स्टाफ ने ये कहते हुए ग्रामीणों को बैरंग लौटा दिया कि इलाज नहीं किया जा सकता। अब स्टाफ वास्तव में डर गया था या फिर उपचार के लिए जरूरी सामान की बात सही थी, ये तो स्पष्ट नहीं हुआ है।
कमल कश्यप की मानें तो उड़ने वाली गिलहरी को उपचार के लिए ले गए थे, लेकिन इंकार कर दिया गया। कमल ने ये संशय जाहिर किया कि स्टाफ को इलाज में डर लग रहा था।
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उधर, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डाॅ. जीवन लाल का कहना था कि गिलहरी का उपचार किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ग्लब्स की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि सोलन पाॅलीक्लीनिक में इलाज के लिए एक्सपर्ट उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रजाति काफी कम पाई जाती है।
उपचार से इंकार के बाद….
कमल कश्यप ने कहा कि उनको ये कहा गया कि जहां से लाए हैं, वहीं छोड़ आओ। वन विभाग को सूचित करने की भी सलाह दी गई। हम कुछ नहीं कर सकते थे, लिहाजा जहां से गिलहरी मिली थी, उसे वहीं छोड़ दिया गया। इसके बाद क्या हुआ, कुछ नहीं पता।