नाहन, 20 मार्च : हिमाचल प्रदेश के डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन (YSPGMC Nahan) से एक अच्छी खबर सामने आई है। यहां, सामान्य तौर पर मुश्किल से मिलने वाली ईईजी, ईएमजी (EMG), बीईपी (BEP) व बेरा (BERA) के परीक्षण की सुविधा हासिल हुई है। साधारण शब्दों में कहें तो सुपर स्पेशलिटी (super specialty) सुविधा हासिल हुई है। इससे न केवल हिमाचल, बल्कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा व उत्तराखंड के मरीजों को भी फायदा मिल सकता है।
खास बात है कि पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट (Pediatric Neurologist) डाॅ. पवन कुमार की देखरेख में आधुनिक प्रयोगशाला क्रियान्वित हो गई है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक जे एंड के, हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में भी ये सुविधा नहीं है। एम्स, ऋषिकेश व पीजीआई चंडीगढ़ (PGIChandigarh) में ये सुविधा अवश्य ही उपलब्ध है।
आपको बता दें कि ईईजी (EEG) सामान्य व असामान्य मस्तिष्क में तंत्रिकाओं (nerves) में विद्युत गतिविधि का परीक्षण व मूल्यांकन करता है। खास बात ये है कि मेडिकल काॅलेज में स्थापित प्रयोगशाला में परीक्षण का एचडी क्वालिटी में वीडियो भी कैप्चर किया जा सकता है। खास तौर पर बच्चों के लिए ये परीक्षण बेहद ही सार्थक है।
साधारण शब्दों में समझें…
नर्वस सिस्टम (Nerves System) में विकार की वजह से कई मर्तबा मिर्गी (Epilepsy), स्ट्रोक (Stroke) व अल्जाइमर(Alzheimer) रोग इत्यादि होते हैं। कई मर्तबा इंसान नींद में भी चलना शुरू कर देता है। करीब एक दर्जन से अधिक बीमारियों का इन परीक्षणों के आधार पर ये पता लगाया जा सकता है कि बीमारी कहां से उत्पन्न हुई है। सटीक डायग्नोज किया जा सकता है।
रोगी में सुनने की क्षमता है या नहीं, इसे जानने के लिए भी बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि ये उपचार भी मेडिकल काॅलेज में उपलब्ध हो जाएगा। खास बात ये है कि मेडिकल काॅलेज के पीडियाट्रिक विभाग (Pediatric Department) में तीन सुपर स्पेशलिस्ट हो गए हैं। इसमें कार्डियोलाॅजिस्ट (Cardiologist) न्यूरोलाॅजिस्ट (Neurologist) उपलब्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि एमडी के बाद डीएम की पढ़ाई पूरी होने के बाद ही एक विशेषज्ञ को सुपर स्पेशल माना जाता है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही नाहन मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग को सुपर स्पेशलिटी का दर्जा दे देगी।
क्या बोले एक्सपर्ट…
पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डाॅ. पवन कुमार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि ट्रायल किया गया। इसके बाद सोमवार से ये सुविधा शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि नर्व सिस्टम व बे्रन से जुड़े तमाम परीक्षण उपलब्ध हो गए हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षण का परिणाम जितना सटीक होता है, उतना रोगी के उपचार निदान में फायदा होता है। एक सवाल के जवाब में अरुण का कहना था कि पांच तरह के परीक्षण हो सकेंगे। प्रयोगशाला पर करीब 70 लाख रुपए व्यय किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि डाॅ. पवन कुमार ने पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) से डाॅक्टर ऑफ़ मेडिसन (DM) की उपाधि लेेने के बाद यहां लैब स्थापित करने का प्रयास शुरू किया था। आखिर में ये प्रयास सार्थक साबित हुआ है।
EEG
इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (ईईजी) एक चिकित्सा परीक्षण है, जिसका उपयोग मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि को मापने के लिए किया जाता है। खोपड़ी पर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। ईईजी मिर्गी, नींद संबंधी विकार और मस्तिष्क ट्यूमर सहित कई स्थितियों का निदान करने में मदद कर सकता है। ईईजी का उपयोग कई प्रकार के मस्तिष्क विकारों के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
EMG
इलेक्ट्रो ग्राफी कंकाल की मांसपेशियों द्वारा उत्पादित विद्युत गतिविधि के मूल्यांकन और रिकॉर्डिंग के लिए एक तकनीक है। इलेक्ट्रोमायोग्राफी नामक एक रिकॉर्ड का उत्पादन करने के लिए उपकरण का उपयोग इसे ( Electromyography) किया जाता है। एक नकारात्मक परीक्षण का मतलब है कि परिणाम सामान्य हैं, एक सकारात्मक परीक्षण परिणाम से कुछ हद तक तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी) का पता चलता है।
NCV
तंत्रिका चालन वेग (Nerve conduction study ) परीक्षण को तंत्रिका चालन अध्ययन भी कहा जाता है ,ये इस बात की परख करता है कि आपकी तंत्रिका के माध्यम से विद्युत आवेग कितनी तेजी से चल रहा है। तंत्रिका क्षति की पहचान कर सकता है। परीक्षण के दौरान, आपकी तंत्रिका को उत्तेजित किया जाता है, आमतौर पर आपकी त्वचा पर इलेक्ट्रोड पैच लगाए जाते हैं। एक इलेक्ट्रोड हल्के विद्युत आवेग के साथ आपकी तंत्रिका को उत्तेजित करता है। दूसरा इलेक्ट्रोड इसे रिकॉर्ड करता है। परिणामी विद्युत गतिविधि को दूसरे इलेक्ट्रोड द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। परीक्षण की जाने वाली प्रत्येक तंत्रिका के लिए इसे दोहराया जाता है।
VEP
विजुअल इवोक्ड पोटेंशियल (visual evoked potential) परीक्षण आपके दृश्य मार्ग से संकेतों को मापता है। इलेक्ट्रोड आपके सिर पर चिपकाए जाते हैं, ताकि संकेतों को रिकॉर्ड किया जा सकें। आंखों की नियमित जांच की तरह, यह जानना आवश्यक है कि प्रत्येक आंख अपने आप कैसे काम करती है।
BERA
ब्रेन स्टेम इवोक्ड रिस्पॉन्स आडियोमेट्री ((Brain Evoked Response Auditory) श्रवण सीमा के मूल्यांकन और घावों के निदान के लिए एक वस्तुनिष्ठ न्यूरो फिजियोलॉजिकल विधि है। अध्ययन का उद्देश्य संदिग्ध श्रवण हानि या पैथोलॉजिकल भाषण विकास वाले बच्चों में श्रवण स्तर की जांच करना था। परीक्षण केवल तभी पूरा किया जा सकता है जब बच्चा सो रहा हो या बिल्कुल स्थिर, आराम से और आंखें बंद करके लेट हुआ हो। यदि बच्चा 6 महीने से छोटा है, तो परीक्षण आमतौर पर इसके झपकी लेते समय किया जा सकता है। इसमें इलेक्ट्रोड को चेस्ट के बजाय स्कल (खोपड़ी) पर लगाकर बहरापन या सुनने की क्षमता का पता लगाया जाता है।