मंडी, 19 मार्च : आयुर्वेद से अब बांझपन का प्रमाणित इलाज हो पाएगा। इसके लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह ने मेडिकल कॉलेज नेरचौक के साथ मिलकर शोध कार्य शुरू कर दिया है। संस्थान ने 6 मामलों पर स्टडी भी शुरू कर दी है। बता दें कि आयुर्वेद से भी बांझपन का इलाज होता है लेकिन इसको लेकर वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए अब इसके वैज्ञानिक प्रमाण को सिद्ध करने के लिए यह शोध किया जा रहा है।
क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के सहायक निदेशक डॉ. राजेश सण्ड ने बताया कि अप्रैल 2023 से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ है और अभी सिर्फ 6 मामलों पर स्टडी चल रही है। यह स्टडी मेडिकल कॉलेज नेरचौक के साथ मिलकर की जा रही है। हालांकि इस सारी स्टडी में काफी लंबा समय लगेगा क्योंकि अभी यह एक तरह से शुरूआती दौर है लेकिन जो 6 मामले अभी इनके पास हैं उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं जिस कारण वे आयुर्वेद के माध्यम से ट्रिटमेंट को आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आयुर्वेद से बांझपन का इलाज संभव है लेकिन अब यह वैज्ञानिक रूप से यह बताना है कि यह इलाज होता है और किस तरह से होता है। एलोपैथी की अपनी पद्धति है और आयुर्वेद की अपनी पद्दति। डॉ. राजेश ने बताया कि उनके संस्थान में प्री-क्लिनिक हाइपोथायरायडिज्म की दवाओं पर भी रिसर्च चल रही है। शुरुआती दौर में थायराइड के उपचार को लेकर दवाओं पर शोध चल रहा है और जल्द ही इस शोधपत्र को भी प्रकाशित कर दिया जाएगा।