नाहन, 2 जुलाई : हिमाचल प्रदेश के ट्रांसगिरि (Transgiri) क्षेत्र के टिटियाना (Titiana) में ‘शांत महायज्ञ अनुष्ठान’ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। रविवार को ठुंडू दाई भाई व शणकवाण (वजीर) ने अनुष्ठान में पहुंचकर शाठी व पाशी के मिलन को यादगार लम्हा बना दिया। समूचे गांव में देवता की पालकी की यात्रा के बाद आयोजन समाप्त होने का ऐलान किया गया।

दरअसल, ठुुंडू व शणकवाण राजपूत बिरादरियां हैं। गांव से इन बिरादरियों का गहरा रिश्ता पुश्त दर पुश्त चल रहा है। कौरवों व पांडवों के वंशजों के मिलन के आयोजन के दौरान महासू देवता (Mahasu Devta) व ठारी माता (Thaari Maa) की असीम कृपा की भी खासी चर्चा है। हर कोई इस बात से भी अचंभित था कि नेशनल हाईवे 707 मामूली सी बारिश में ही अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन 28 जून के बाद से समूचे इलाके की सड़कें ट्रैफिक के लिए बहाल हैं।
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रविवार सुबह एक पल के लिए ऐसा महसूस हुआ था कि जमकर बारिश होगी, लेकिन इसके विपरीत खुशनुमा मौसम बन गया। आयोजन समिति ने शांत महायज्ञ (Shaant Mahayagya) के हरेक पल को एक दस्तावेज में तब्दील करने का भी निर्णय लिया हुआ है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी ये जान सकें कि हिमाचल में ब्राह्मणों के सबसे बड़े गांव ‘टिटियाना’ में 28 जून से 2 जुलाई तक कैसे इतिहास लिखा गया था।
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आपको बता दें कि शनिवार को ही बाहर से आने वालों के लिए गांव का प्रवेश द्वार खुला था। पहले दिन करीब 22 हजार का जनसैलाब पहुंचा था, जबकि दूसरे दिन रविवार को भी संख्या 22 से 23 हजार के बीच रही। कमाल की बात ये है कि गांववासियों ने इतनी संख्या में लोगों को संभालने के लिए गजब प्रबंधन का प्रमाण भी दिया। शहरों में 5-10 हजार की भीड़ जुटने पर ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा जाती है। टिटियाना तक पहुंचने वाला संपर्क मार्ग सुचारू रूप से बहाल रहा। रविवार को चार दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने भी देवता व माता का आशीर्वाद लिया।
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सिरमौर के उपायुक्त सुमित खिमटा ने कुलिष्ठ महासू देवता के समक्ष अनुष्ठान में शीश नवाजकर समूचे जिला की तरक्की की कामना की। बता दें कि स्थानीय विधायक व उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने शनिवार को भव्य आयोजन में शिरकत की थी। ठुंडू दाई भाई ने देवता के समक्ष 1,11,111 रुपए की राशि भेंट की तो वहीं शणकवाण बिरादरी के गांवों ने अलग-अलग स्तर पर देवता को 11-11 हजार भेंट किए। इसके अलावा भंडारों में इस्तेमाल होने वाले बर्तन भी भेंट किए।

धियानियों का सम्मान…
हालांकि, आयोजन समिति का अधिकृत कार्यक्रम रविवार को महायज्ञ में अंतिम आहूति के बाद समाप्त हो गया है, लेकिन नारी शक्ति को सम्मान देने का कार्यक्रम सोमवार को आयोजित होगा। बता दें कि पहाड़ी इलाकों में गांव की उन बेटियों को धियानी कहा जाता है, जो शादी के बाद ससुराल चली जाती हैं। शांत महायज्ञ में हरेक घर की बेटी भी पहुंची थी। बेटियों ने दिन-रात एक कर कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
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क्यों इतिहास….
दरअसल, ऐसे आयोजन में मेजबानी करने वालों की व्यापक स्तर पर एकजुटता होनी चाहिए। लेशमात्र गतिरोध की भी गुंजाइश नहीं हो सकती। ऐसा आयोजन 120 साल पहले हुआ था। उस समय तकनीक नहीं थी तो डॉक्यूमेंट भी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस शांत महायज्ञ के हरेक पल को डॉक्यूमेंट किया जा सकता है। ब्राह्मण बिरादरी द्वारा भी ऐसे कार्यक्रम की मेजबानी भी शायद पहले नहीं की गई थी। अढ़ाई सौ घरों वाले गांव ने पौराणिक इतिहास को जीवंत कर दिखाया है।
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अमूमन ऐसा संभव नहीं होता कि मौजूदा में दौड़ भाग की जिंदगी में करीब 400 गांवों के लोग टोलियों में धार्मिक अनुष्ठान स्थल तक पहुंचे। दरअसल, एक वक्त था जब शाठी व पाशी के बीच झगड़े हुआ करते थे। रियासत के शासक ने इन्हें निपटाने के लिए टिटियाना में चाैंतरा बनाया था। ये चौंतरा आज भी मौजूद है।
आयोजन में शाठी व पाशी पक्षों ने गले मिलकर भाईचारे का संदेश दिया, जो ऐतिहासिक लम्हा था। ‘महासुआ रक्षा राखे’, ‘ठारिया रक्षा करे’, ‘ठारी माता की जय’….ये वो तीन उदघोष थे, जो हजारों की संख्या में लोगों की जुबान पर हर पल रहे।