शिमला, 2 जुलाई : प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के करीब 10 हजार पद खाली चल रहे हैं। इन पदों में से कला अध्यापकों के 881 व पीईटी शिक्षकों के 947 पद खाली चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए स्कूलों में 100 बच्चों की संख्या की शर्त आफत बनी है। दरअसल 100 विद्यार्थियों से कम संख्या वाले माध्यमिक स्कूलों में कला अध्यापकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार ऐसे में स्कूलों में कला अध्यापक का पद भरा जाना अनिवार्य नहीं है। यानि जिन माध्यमिक स्कूलों में छात्र संख्या 100 से कम है, उन स्कूलों में स्वीकृत कला अध्यापकों के 881 रिक्त पदों को पूल में रखा गया है। छात्र संख्या बढऩे पर इन पदों को दोबारा बहाल कर अध्यापकों की नियुक्तियां की जाएंगी। ऐसे में प्रदेश सरकार से कई बार इस शर्त को हटाने की मांग की जा चुकी है। हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि जल्द उनके लिए रोजगार का प्रावधान किया जाए।

बेरोजगार कला अध्यापक संघ के समस्त सदस्यों ने कहा है कि जब से उन्होंने कला अध्यापक का डिप्लोमा किया है तब से डिप्रेशन में हैं। नौकरी की आस में उम्र भी 50 से 55 के बीच हो चुकी है। मिडिल स्कूलों में लगाई गई 100 बच्चों की कंडीशन जो 2012 में आर टी एक्ट के तहत लगाई गई थी उसे हटाने की भी मांग की गई है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले गरीब परिवार के बच्चों के साथ अन्याय किया गया था। संघ ने कहा है कला एक ऐसा विषय है जो किसी भी बच्चे को कलम चलाना सिखाता है और आगे उसके भविष्य को बनाता है।
कला अध्यापक संघ ने कहा कि जब प्राइवेट स्कूल में केंद्रीय स्कूलों में ऐसी कोई कंडीशन नहीं है तो हिमाचल प्रदेश के सरकारी गरीब परिवार पढ़ने वाले बच्चों के ऊपर ही क्यों थोपी गई है। इस विषय को तो पहली कक्षा से अनिवार्य होना चाहिए था। जैसा कि केंद्रीय विद्यालयों में है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि स्कूलों में 100 बच्चों की जो शर्त लगाई गई है उस कंडीशन को समाप्त किया जाए।