नाहन, 25 अप्रैल : श्री रेणुका जी बांध परियोजना में समाने से पहले ही ‘दनोई पुल’ ने दम तोड़ दिया। रात साढ़े 9 बजे के आसपास तकरीबन 50 साल का ये पुल ढह गया। रात 10 बजे के करीब ये खबर आग की तरह फैल गई। भगवान परशुराम की जन्मस्थली से मां भंगयाणी मंदिर की कनेक्टिविटी भी टूटी है।
हर साल हरिपुरधार में मां भंगयाणी मेले का आयोजन व्यापक स्तर पर किया जाता है। 4 मई को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की संभावना भी जताई गई थी। पुल टूटने से मेले की चमक फीकी पड़ने की भी संभावना है, क्योंकि इस तारीख तक राहत की मामूली सी भी गुंजाइश नहीं है।
पुल के टूटने के बाद जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। हालांकि, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता के नेतृत्व में टीम मंगलवार सुबह ही मौके पर पहुंच गई थी। लेकिन विभाग ने भी ये साफ कर दिया है कि जल्द राहत नहीं दी जा सकती। फिलहाल, वैली ब्रिज के निर्माण की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।
अहम बात ये है कि आर-पार पैदल जाने के लिए भी रास्ता ठीक से उपलब्ध नहीं हैै। लिहाजा, विभाग ने तुरंत ही पैदल क्रॉसिंग की व्यवस्था शुरू कर दी है। दरअसल, दनोई पुल भी श्री रेणुका बांध परियोजना की जद में था। संभवतः इसी कारण नए पुल की संभावना नहीं तलाश की जा रही थी, लेकिन ओवरलोडिड वाहनों के गुजरने पर सख्ती से कार्रवाई नहीं थी।
बता दें कि दनोई पुल से तकरीबन 100 मीटर की ऊंचाई पर ही श्री रेणुका जी से संगड़ाह की नई सड़क प्रस्तावित है, लेकिन इस पर कार्य शुरू नहीं हुआ है। दनोई पुल के समीप ‘झरना’ पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र बनता है।
चूंकि संगड़ाह उपमंडल में चूना खदानें भी हैं। इन खदानों पर भी असर पड़ने से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
2012 से 2017 तक स्थानीय विधायक विनय कुमार लोक निर्माण विभाग के मुख्य संसदीय सचिव भी रहे। इस दौरान वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश नहीं की गई।
बता दें कि संगड़ाह उपमंडल में एसडीएम, एक्सईएन, एसडीओ के पद लंबे अरसे से रिक्त पड़े हुए हैं। ग्रामीणों की मानें तो 25 में से 17 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में ताले लटके हुए हैं। सरकार ने सोमवार को एसडीएम की तैनाती के आदेश जारी किए हैं। अलबत्ता ये तय है कि पुल के टूटने से संगड़ाह उपमंडल की करीब 60 से 70 प्रतिशत आबादी प्रभावित हुई है। इसके अलावा शिमला जिला का कुपवी क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है।
क्या है विकल्प….
विडंबना ये भी है कि पुल के टूटने के बाद सही विकल्प भी मौजूद नहीं है। हालांकि, कोटीधीमान होकर कनैक्टिीविटी है, लेकिन इससे न केवल 50 किलोमीटर के करीब दूरी बढ़ेगी, बल्कि आम लोगों खासकर पर्यटकों के लिए इस रोड़ पर ड्राइव करना आसान नहीं है।
दूसरी तरफ नाहन से सोलन वाया नौहराधार होकर हरिपुरधार की कनैक्टिीविटी है, लेकिन संगड़ाह मुख्यालय तक दूरी 120 से 150 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी। एक विकल्प वाया रोनहाट होकर भी उपलब्ध है, लेकिन ये विकल्प भी न केवल थकान वाला है, बल्कि दूरी भी बढ़ जाएगी।
हालांकि, ददाहू से चांदनी होकर सीधे सतौन से शिलाई पहुंचा जा सकता है, लेकिन ये भी आसान डगर नहीं है। फिलहाल ये भी उम्मीद की जा रही है कि बसों में यात्रियों की अदला-बदली की जा सकती है।
ये बोले अधीक्षण अभियंता….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता अरविंद शर्मा का कहना था कि हरेक संभावना को तलाश किया जा रहा है। फिलहाल वैली ब्रिज के निर्माण के लिए मकैनिकल विंग की टीम को बुलाया गया है। उनका कहना था कि ये पुल करीब 50 साल पुराना था। रेणुका जी-संगड़ाह मार्ग का उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. वाईएस परमार द्वारा किया गया था।