सुंदरनगर, 7 अप्रैल : संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत के कहने पर वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित करने के साथ ही हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय इस ओर बेहतरीन कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों में मोटे अनाज की पैदावार और संरक्षण पर लगातार जोर दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र मंडी में एक मल्टी यूटिलिटी मशीन स्थापित की जा रही है। इससे किसानों को मोटे अनाज (मिलेटस) की फसल की प्राइमरी और सेकेंडरी प्रोसेसिंग करने के साथ-साथ इसे गुणवत्ता वृद्धि उत्पाद के तौर पर बाजार में लाने की सुविधा मिलेगी।

यह जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने दी। पंकज सूद ने कहा कि मंडी जिला के विभिन्न क्षेत्रों में लगाए जाने वाली मिलेटस की फसल के लोकल बीजों को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संरक्षित और उन पर अनुसंधान किया जा रहा है। वहीं अनुसंधान में मिलेटस की अच्छी किस्म मिलने पर पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) को भेजकर किसानों के अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके।
इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र खरीफ सीजन में मोटे अनाज पर प्रदर्शनियां भी लगाने जा रही हैं। पंकज सूद ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के फार्म पर भी मिलेटस के बीजों का उत्पादन किया है। मिलेटस उत्पादों में गुणवत्ता वृद्धि करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
मोटे अनाज (मिलेटस) में बाजरा, ज्वार व पहाड़ी क्षेत्रों में उगाए जाने वाला मंडवा (कोदा) प्रमुख रूप से शामिल है। जहां इन मोटे अनाजों में फाइबर की प्रचुर मात्रा होने से यह पाचन क्रिया के लिए रामबाण है, वहीं आधुनिक बिमारियों डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर में यह बेहद ही फायदेमंद होता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन मोटे अनाजों में कभी भी कीड़ा नहीं लगता। जितने ही ये अनाज पुराना होता जाता है उतना ही खाने के लिए ये श्रेष्ठ व सेहतमंद माना जाता है।