नाहन (एमबीएम न्यूज): भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के पीठासीन मुख्य न्यायधीश तीरथ ठाकुर पहली बार पच्छाद के दाडो-देवरिया में अपने ससुराल पहुंचेंगे। शुक्रवार (24 जून) को अभिनंदन कार्यक्रम सुबह 11 बजे तय हुआ है। इसके बाद प्रीतिभोज का आयोजन भी रखा गया है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की माता की तबीयत अचानक बिगडऩे के कारण कार्यक्रम को लेकर थोड़ा संशय है।
सिरमौर के इतिहास में वह ऐतिहासिक पल होंगे, जब देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यहां पहुंचेंगे। हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि पहली मर्तबा देश के कोई चीफ जस्टिस यहां पहुंचेंगे। वीरवार देररात या फिर शुक्रवार सुबह ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के दाडो देवरिया पहुंचने की बात कही जा रही है।
हिमाचल ‘सिरमौर’ के दामाद 63 वर्षीय न्यायधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने 3 दिसंबर 2015 को देश के 43वें मुख्य न्यायधीश के तौर पर शपथ ली थी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को शपथ दिलवाई गई थी। ससुराल पक्ष से सेवानिवृत प्रधानाचार्य सतेन्द्र सिंह, एडवोकेट विश्वजीत सिंह ने भी हिस्सा लिया था।
देश में क्या है अपने दामाद का प्रोटोकॉल?
देश के चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट का प्रोटोकॉल काफी ऊंचा है। सबसे ऊंचा प्रोटोकॉल राष्ट्रपति का रहता है। इसके बाद उप राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आते हैं। चौथे स्थान पर राज्यपाल का दर्जा होता है, बशर्ते राज्यपाल अपने ही प्रदेश में हो। पांचवे स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति आते हैं, जबकि पांच-ए पर उप प्रधानमंत्री का दर्जा होता है। इसके बाद छठे स्थान पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया व लोकसभा अध्यक्ष का प्रोटोकॉल होता है। यहां तक की राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने-अपने राज्यों में प्रोटोकॉल के हिसाब से सातवें स्थान पर होते हैं। इसी स्थान पर केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा व लोकसभा में विपक्ष के नेता भी प्रोटोकॉल के हिसाब से सातवें स्थान पर होते हैं।
प्रोफाइल ऑफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
4 जनवरी 1952 को जन्मे जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर अक्तूबर 1972 में प्रैक्टिस शुरू की। इसके लिए उन्होंने अपने स्व. पिता डीडी ठाकुर का चैंबर ज्वाइन किया। उनके पिता भी जे एंड के हाईकोर्ट के एक नामी एडवोकेट रहे। साथ ही जम्मू व कश्मीर में उप मुख्यमंत्री भी रहे।
1990 में जस्टिस ठाकुर सीनियर एडवोकेट बने। 16 फरवरी 1994 को उन्हें जे एंड के हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायधीश बनाया गया। इसके बाद उनकी ट्रांसफर मार्च 1994 में कर्नाटक हाईकोर्ट में बतौर न्यायधीश हुई। सितंबर 1995 में वह स्थाई न्यायधीश बन गए। फिर जुलाई 2004 में दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर हुए। 9 अप्रैल 2008 को दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश बने। पंजाब व हरियाणा में भी उन्होंने बतौर चीफ जस्टिस की सेवाएं 11 अगस्त 2008 तक दी। 17 नवंबर 2009 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बने।
जस्टिस टीएस ठाकुर को देश की सर्वोच्च अदालत का चीफ जस्टिस 3 दिसंबर 2015 को तैनात किया गया। 4 जनवरी 2017 को जस्टिस ठाकुर सेवानिवृत होंगे। मूलत: जस्टिस ठाकुर जम्मू एंड कश्मीर से संबंध रखते हैं।