शिमला, 31 दिसम्बर : हिमाचल प्रदेश में साल 2022 राजनीतिक घटनाक्रमों के नाम रहा। यह साल विधानसभा चुनाव (assembly elections), कांग्रेस (Congress) के सत्ता पर काबिज होने, सुखविंद्र सिंह सूक्खु की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी और भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों के राष्ट्रीय नेताओं की चुनावी रैलियों के लिये याद किया जाएगा। इसके अलावा पेपर लीक मामलों, भूस्खलन की घटनाओं और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के निधन की खबरों ने भी सुर्खियां बटोरीं।
कांग्रेस का सत्ता पर कब्जा, सुखविंदर सिंह सुक्खू बने सीएम
सर्वाधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम साल के आखिरी महीने दिसंबर में घटित हुआ। 08 दिसंबर को घोषित विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। भाजपा को 25 सीटों से संतोष करना पड़ा, जबकि 03 सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 11 दिसंबर को प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके साथ ही हिमाचल की सियासत में सुक्खू युग का आगाज़ हो गया। मुकेश अग्निहोत्री पहले उप मुख्यमंत्री बने।
वीरभद्र के बिना चुनाव में उतरी कांग्रेस ने किया करिश्मा, सीएम की कुर्सी के लिए मचा रहा घमासान
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सर्वमान्य नेता की कमी से जूझती रही। छह बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह के निधन के कारण कांग्रेस के पास उनके पद जैसा नेता नहीं था। बावजूद इसके कांग्रेस नेताओं ने एकजुटता से चुनाव लड़ा और पार्टी को सत्तासीन कर दिया। चुनाव से पहले और बाद में कांग्रेस नेताओं में सीएम के चेहरे के लिए घमासान मचा रहा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और कौल सिंह ठाकुर सीएम के दावेदार बनकर उभरे। हालांकि कौल सिंह ठाकुर द्रंग सीट से चुनाव हार गए। कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला को पर्यवेक्षक बनाकर शिमला भेजा। दो दिन तक चले सियासी ड्रामे, प्रतिभा सिंह समर्थकों की नारेबाजी के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया।
रिवाज नहीं बदल पाई भाजपा, नहीं चला मोदी का जादू
पांच साल से प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए गुजरा साल अच्छा नहीं रहा। पीएम मोदी (PM Modi) का जादू हिमाचल में काम नहीं आया और भाजपा (BJP) देवभूमि में सत्ता बदलने का रिवाज बदल नहीं पाई। डबल इंजन सरकार के विकास का तमगा भी भाजपा को सत्ता तक नहीं पहुंचा पाया। जयराम सरकार के 08 मंत्री चुनाव हार गए। भाजपा अपने गढ़ हमीरपुर में पहली बार खाता नहीं खोल पाई। सोलन में भी भाजपा शून्य पर सिमट गई। कांगड़ा, शिमला और ऊना जिलों में भाजपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। मंडी जिला में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जलवा देखने को मिला और भाजपा ने आश्चर्यचकित करते हुए 10 में से 09 सीटों पर जीत दर्ज की।
सीएम बनते ही एक्शन में आये सीएम सूक्खु, भाजपा शासन में खुले 500 से अधिक दफ्तर बंद:-
मुख्यमंत्री बनते ही सुखविंद्र सिंह सूक्खु (Sukhwinder Singh Sukhu) एक्शन में नजर आए। सुक्खू सरकार ने जयराम सरकार के आखिरी 09 महीनों में लिए गए फैसलों की समीक्षा करवाने का ऐलान किया। चुनाव से चंद माह पहले खुले 500 से अधिक सरकारी दफ्तरों एवं संस्थानों को बंद कर दिया गया। कांग्रेस सरकार ने इसके पीछे बजटीय प्रावधान न होने का तर्क दिया। विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
प्रतिभा सिंह को मिली प्रदेश कांग्रेस की कमान :-
विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2022 में प्रदेश कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी व मंडी से लोकसभा सदस्य प्रतिभा सिंह को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। एक साल पहले मंडी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने शानदार जीत दर्ज की थी। वीरभद्र परिवार का प्रदेश की राजनीति में योगदान को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने प्रतिभा सिंह को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस में तीन कार्यकारी अध्यक्षों को भी तैनात किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का निधन:-
संचार क्रांति के मसीहा और हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम ने 95 साल की आयु में दुनिया को अलविदा कर दिया। 10 मई 2022 की रात दिल्ली स्थित एम्स में उनका देहांत हुआ। उनके निधन से मंडी समेत प्रदेश शोक में डूब गया। हिमाचल के साथ-साथ देश की राजनीति में पंडित सुखराम एक चर्चित चेहरा रहे हैं। साठ साल के सियासी सफर में उन्होंने संचार क्रांति का सूत्रपात कर हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य की देश भर में पहचान दिलाई। पंडित सुखराम पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा के लिए मंडी संसदीय सीट से चुने गए। कई बुलंदियां छूने के साथ-साथ वह भ्रष्टाचार के कई आरोपों से भी घिरे रहे।
छाया रहा कर्मचारियों का ओपीएस मुद्दा
साल भर कर्मचारियों का ओल्ड पेंशन बहाली (OPS) का मुद्दा साल भर प्रदेश में छाया रहा। इसे लेकर कर्मचारियों ने सड़कों पर उतरकर न केवल आंदोलन किया, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार (BJP government) के खिलाफ मुहिम भी शुरू कर दी। अगस्त के महीने में एनपीएस कर्मियों ने शिमला में जुटकर हिमाचल विधानभसा का घेराव किया। एनपीएस कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर के मार्च माह में दिए गए उस बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी, जिसमें उन्होंने कहा कि पेंशन चाहिए, तो चुनाव लड़े बयानबाज़ी करने वाले सरकारी कर्मचारी। एनपीएस कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की मांग को कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल किया।
भूस्खलन और बाढ़ का कहर, सैंकड़ों लोग मरे
भारी बरसात ने इस साल देवभूमि में जमकर कहर बरपाया। जून से सितंबर माह तक मानसून प्रदेश में सक्रिय रहा। सामान्य से 02 फीसदी कम बरसने के बावजूद मानसून से भारी तबाही देखने को मिली। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़, भूस्खलन (landslide) और बादल फटने की विभिन्न घटनाओं में राज्य भर में 431 लोगों की जान गई। इसके अलावा वर्षा जनित घटनाओं में राज्य में 2191 करोड़ की संपति तबाह हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र सिराज में हुए भीषण भूस्खलन की घटना में एक परिवार के 08 लोगों की मौत हुई। मंडी, सिरमौर और कुल्लू जिले भूस्खलन से सबसे प्रभावित रहे।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) 1,013 करोड़ रुपये के नुकसान से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, इसके बाद जल शक्ति विभाग को 967 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मानसून के दौरान राज्य में भूस्खलन की करीब 90 घटनाएं, बाढ़ की 69 घटनाएं और बादल फटने की 14 घटनाएं हुई हैं। कुल मृतकों में से 231 लोग सड़क दुर्घटनाओं में, 28 भूस्खलन में और 10 बादल फटने से मारे गए। 40 लोगों की डूबने से मौत हो गई और बाकी बारिश से संबंधित विभिन्न घटनाओं के कारण, जबकि 15 लोग अभी भी लापता हैं। सबसे अधिक 73 मौतें शिमला जिले से हुई। इसके बाद मंडी से 63, सिरमौर से 48, कुल्लू से 46, ऊना से 45, चंबा से 42 और शेष छह जिलों से मौत हुई।
पेपर लीक प्रकरण ने गिराई साख:-
देवभूमि में गुजरे साल में पेपर लीक की घटनाओं ने जनता को सकते में डाल दिया। इसके प्रदेश की साख पर भी बट्टा लगा। पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल में मई माह में जहां पुलिस कांस्टेबल भर्ती (police constable recruitment) की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हुआ, तो सत्ता परिवर्तन के बाद सुक्खू सरकार (sukhu government) के कार्यकाल में 23 दिसंबर को हिमाचल कर्मचारी चयन आयोग का जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी का पेपर लीक हो गया। पेपर लीक में आयोग की एक महिला कर्मी के संलिप्त होने के कारण सुक्खू सरकार ने आयोग के कामकाज को निलंबित कर दिया। आयोग की सभी भर्तियों को रोक दिया गया। आयोग के सचिव व उपसचिव को शिमला कार्मिक विभाग में रिपोर्ट करने को कहा गया।
इससे पहले पुलिस कांस्टेबल का पेपर लीक हुआ था। दरअसल 27 मार्च को हिमाचल प्रदेश पुलिस में 1 हजार 334 पदों के लिए लिखित परीक्षा हुई। 5 अप्रैल को इस परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। 5 मई को पहली बार पुलिस पेपर लीक होने की बात सामने आई। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 6 मई को परीक्षा रद्द करने की बात कही और जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए पहले प्रदेश से आरोपियों को गिरफ्तार किया। फिर धीरे-धीरे जब कड़ियां बाहरी राज्यों से जुड़ती गई और आरोपियों को बाहरी राज्य से लाकर भी जेल की सलाखों के पीछे डाला गया।
पटरी पर लौटा पर्यटन व्यवसाय, डेढ़ करोड़ सेलानियों ने किया हिमाचल का रुख:-
पिछले दो साल से कोरोना (Corona) की मार झेल रहे हिमाचल के पर्यटन क्षेत्र में इस साल बढ़ोतरी देखने को मिली। कोरोना की पहली व दूसरी लहर में बुरी तरह प्रभावित पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौटा। पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल दिसंबर माह तक डेढ़ करोड़ सैलानियों ने देवभूमि का रुख किया। जबकि कोविड के दौरान साल 2020 में 32 लाख और 2021 में साल भर 55 लाख पर्यटकों ने ही हिमाचल प्रदेश का रुख़ किया था। शिमला, मनाली, डल्हौजी के अलावा रोहतांग टनल सैलानियों की पसंद रही।