शिमला, 29 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में डॉ सिकंदर कुमार के मार्च माह में राज्यसभा सदस्य बनने के बाद कुलपति का पद रिक्त चल रहा है। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही इस पद स्थाई नियुक्ति के लिए अब प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस पद पर स्थाई नियुक्ति के लिए लगभग एक दर्जन सीनियर प्रोफेसर लॉबिंग में जुट गए है। विवि में जैसे हालत चल रहे है उस हिसाब से कुलपति का पद कांटों भरा ताज माना जा रहा है।
सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू खुद हिमाचल प्रदेश विवि के छात्र रहे है। वह बलि भांति जानते है कि कुलपति पद के लिए योग्य व्यक्ति ही नियुक्त करना ठीक रहेगा। इस पद के लिए दस साल प्रोफेसर के पद पर सेवाएं देने की पात्रता की शर्त आवश्यक होती है। विवि में करीब सात से आठ प्रोफेसर है जो इस शर्त पर खरे उतरते है।
सीएम पहले ही कह चुके है कि नियुक्ति में पारदर्शिता व मेरिट को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार वैसे कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए सरकार के स्तर पर कमेटी गठित कर कुलपति का चयन कर सकती है। हिमाचल विवि में जिस तरह से परीक्षा परिणामों में देरी, ऑनलाइन मार्किंग सिस्टम, ईआरपी सिस्टम में लगातार खामियों के आरोप लगते रहे है। यहीं नहीं आउटसोर्स पर लगाए गए 163 से अधिक कर्मचारियों के भविष्य पर भी तलवार लटक रही है।
एनएसयूआई पिछले कुलपति के कार्यकाल के दौरान पीएचडी में एडमिशन में भाई-भतीजावाद के आरोप भी लगाती रही है। कुल मिलाकर इन सब बातों को ध्यान रख सीएम नए कुलपति को तैनाती देंगे। 19 मार्च 2022 से पूर्व कुलपति प्रोफेसर सिकंदर के सांसद बनने के बाद यह पद खाली पड़ा है।
21 मार्च को केंद्रीय विवि के कुलपति एसपी बंसल एचपीयू का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे है। वहीं रोजमर्रा के कार्यों को प्रति कुलपति प्रोफेसर ज्योति प्रकाश देख रहे है। वहीं 25 अप्रैल से डीन स्टडी प्रोफेसर कुलभूषण तैनात है। नए कुलपति की नियुक्ति होने के बाद इन निचले पदों पर भी फेरबदल होना स्वाभाविक है।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री पर छात्रों के भविष्य को देखते हुए यहां किसी योग्य व्यक्ति को तैनात करने का दवाब भी रहेगा। अबतक के तल्ख तेवरों से मुख्यमंत्री ने यह साफ़ कर दिया है कि शिक्षा व रोजगार के मामलों में भ्र्ष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।