मंडी, 07 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ प्रदेश है लेकिन कुछ बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूर व कुछ स्थानीय निवासी भी यहां के नदियों, नालों में प्रतिबंध के बावजूद मछलियों का शिकार कर रहे है। जोकि पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। इस समस्या के हल में कई पर्यावरण प्रेमी संस्थाएं अपने स्तर पर कार्य कर रही है। विभाग भी अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहा है। लेकिन फिर भी इस प्रकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस समस्या के निदान के लिए मंडी के पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी ने सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी पर्यावरण को बचाने में सहयोग करने की अपील की है।
उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले कुल्लू और मंडी के बीच औट में उनकी संस्था के सदस्यों ने एक नेपाली महिला को मछलियों का शिकार करने से रोका। सैनी का मानना है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए आम नागरिक को भी अपना कर्तव्य समझते हुए प्रशासन और सरकार का सहयोग करने की जरूरत है। वहीं उन्होंने इस काम में स्थानीय लोगों का सहयोग लेने और उन्हें रोजगार देने का सुझाव भी दिया।
उन्होंने बताया कि मंडी में मतस्य विभाग कर्मचारी कम होते हुए भी बेहतर कार्य कर रहा है। पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार यदि समय रहते प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए वन्य प्राणी और संपदा ढूंढने से भी नहीं मिलेगी। उन्होंने मांग उठाई कि आने वाले समय में सरकार वन्य प्राणी संरक्षण पर कोई ठोस नीति बनाए।
वहीं जब मंडी में हो रहे मछलियों के अवैध शिकार के बारे में मतस्य विभाग से जानकारी ली गई तो विभाग ने जिला में विभिन्न नालों, खड्डों और नदी में मछलियों का अवैध रूप से शिकार करने वालों को पकड़ा और उनसे करीब 3 लाख 15 हजार रूपए से ज्यादा का जुर्माना भी वसूल किया है। साथ ही ऐसे लोगों को प्रतिबंधित समय में और अवैध रूप से चोरी छुपे मछलियों का शिकार न करने की हिदायत दी है।