रोनहाट, 03 दिसंबर : सिरमौर व शिमला जिला के सीमांत इलाके में धार-चांदना केंची के समीप पेश आई सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जिसके कई घंटों तक अस्पताल के दरवाजे पर 5 घायल इलाज के अभाव में तड़पते रहे। ग्रामीणों ने जब चिकित्सकों को फोन किया तो जवाब मिला कि शाम 5 बजे के बाद वो इलाज नहीं करेंगे क्यूंकि उनकी ड्यूटी केवल सुबह 10 बजे से 5 बजे तक की है।
करीब एक घंटे तक इंतजार करने के बाद भी जब डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचे तो ग्रामीणों ने निजी वाहनों से 1 घायल युवक को 45 किलोमीटर दूर नागरिक अस्पताल नेरवा व 4 घायलों को 28 किलोमीटर दूर नागरिक अस्पताल शिलाई पहुंचाया। शिलाई अस्पताल में उपचार के दौरान एक युवक की मौत हो गई, जबकि अन्य सभी घायलों को नेरवा और शिलाई अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद आगामी इलाज के लिए हायर सेंटर रैफर कर दिया।
कुलभूषण, बलदेव कांटा, रिंकू राणा, संदीप कुमार, सिंह, मेहर सिंह, जगत सिंह, बलवंत राणा, विनेश चौहान आदि ग्रामीणों ने बताया कि अगर समय रहते सड़क हादसे के घायलों को अस्पताल में उपचार मिला होता तो एक युवक की जान बचाई जा सकती थी। जब रोनहाट अस्पताल में तैनात डॉक्टर को फ़ोन किया तो जवाब मिला कि शाम 5 बजे के बाद उनकी ड्यूटी ख़त्म हो जाती है इसलिए वो अस्पताल नहीं आएंगे। रोनहाट अस्पताल में 2 चिकित्सक तैनात है बावजूद इसके आपातकालीन स्थिति में लोगों को उपचार के आभाव में अपनी जान गवानी पड़ रही है। ग्रामीणों ने मांग की है कि रोनहाट अस्पताल में 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कारवाई जाए ताकि आपातकालीन स्थिति में बेशकीमती जीवन बचाए जा सके।
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आपको बताते चलें कि दुर्गम इलाके में स्थित सिरमौर व शिमला जिला की करीब 40 पंचायतों के हजारों लोगों सहित उत्तराखंड राज्य के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बाबर के लोग भी उपचार के लिए अक्सर रोनहाट अस्पताल पहुंचते है। मगर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में उन्हे अस्पताल से अक्सर निराशा ही हाथ लगती है। सरकार द्वारा भी अस्पताल को पीएचसी से सीएचसी में तो तब्दील कर दिया गया। मगर उपचार के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं देना भूल गई। रोनहाट के आस-पास पेश आए सड़क हादसों में अब तक कई दर्जन अनमोल जीवन समय रहते उपचार न मिलने के कारण मौत का ग्रास बन चुके है।
उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोनहाट के प्रभारी चिकित्सक डॉ. राहुल कौंडल व डॉ. विशाल राणा ने बताया कि सरकारी नियमानुसार अवकाश के दिनों को छोड़कर रोजाना सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक अस्पताल में नियमित सेवाएं दी जाती है। ड्यूटी खत्म होने के बाद वो लोग अपने निजी काम से स्टेशन से कहीं बाहर चले गए थे, जहां से वापिस लौटने में काफी वक्त लग जाता है। इसलिए उन्होंने घायलों को शिलाई अस्पताल ले जाने की सलाह दी थी।